ट्रिगर प्राइस क्या होता है?

आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि ट्रिगर प्राइस क्या है (Trigger price meaning in Hindi) और इसका उपयोग हम कैसे कर सकते हैं। आइए हम ट्रिगर प्राइस का मतलब आसान भाषा में समझाते हैं।

ट्रिगर प्राइस क्या होता है - Trigger price meaning in Hindi

आसान भाषा में Trigger price meaning in Hindi समझना हो तो ट्रिगर प्राइस एक ऐसा प्राइस होता है जो आपका स्टॉक ब्रोकर आपसे पूछता है जब आप कोई स्टार प्लस ऑर्डर लगते हैं। ट्रिगर प्राइस स्टॉक ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए होता है और आपके डाले हुए ट्रिगर प्राइस आने पर ही आपका ऑर्डर एक्सचेंज में भेजा जाता है।

Trigger price meaning in Hindi

तब तक ये सिर्फ स्टॉक ब्रोकर के पास पड़ा रहता है। स्टॉक ब्रोकर इस आर्डर को आगे नहीं भेजता है और जब ट्रिगर प्राइस आ जाता है तो आपका स्टॉपलॉस ऑर्डर ट्रिगर प्राइस के हिसाब से एक्सचेंज में भेज दिया जाता है। उसके बाद आपका स्टॉपलॉस हिट होने पर आपकी पोजीशन कट जाती है।

ट्रिगर प्राइस आपके लिए नहीं होता है। दरअसल यह स्टॉक ब्रोकर के लिए होता है जिससे उसको पता चलता है कि किस प्राइस के बाद आपका ऑर्डर एक्सचेंज में भेजना है।

आगे हम एक और उदाहरण से समझेंगे लेकिन यहां एक उदाहरण समझते हैं कि ट्रिगर प्राइस क्या होता है (Trigger Price kya hota hai)।

वीडियो की मदद से ट्रिगर प्राइस समझने के लिए वीडियो को 4 मिनट 20 सेकंड पर देखें।

भारत का मशहूर स्टॉक ब्रोकर जीरोधा सबसे सुरक्षित स्टॉक ब्रोकर माना जाता है। यह आपको डिलीवरी ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग दोनों के साथ-साथ म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट, गोल्ड, गवर्नमेंट बॉन्ड में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है।

मान लीजिए कोई स्टॉक ₹100 पर चल रहा है और आपने उसे बाय किया है। आप चाहते हैं जब स्टॉक ₹90 पर आए यानी कि आपको ₹10 का लॉस प्रति शेयर दिखने लगे तो आपका पोजीशन कट जाए। तो ऐसी स्थिति में आप स्टॉपलॉस ऑर्डर लगाते हैं। जब आप Stop Loss Order लगाने लगते हैं तो आपको लिमिट में जो 90 भरना होगा क्योंकि आप चाहते हैं कि 90 पर आपकी पोजीशन कट जाए। 

साथ ही मैं आपको Trigger Price भरना पड़ता है। ट्रिगर प्राइस आप 90 से ऊपर का लगाएंगे। वह 91, 92, 93, 100 से नीचे कुछ भी हो सकता है। ट्रिगर प्राइस आपके काम का नहीं होता है। यह स्टॉक ब्रोकर के काम का होता है।

दरअसल जब आप कोई स्टॉपलॉस ऑर्डर लगाते हैं तो आपके स्टॉपलॉस ऑर्डर लगाते ही वह आर्डर Pending Orders में चला जाता है। वह आर्डर एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है। एक्सचेंज में इसलिए नहीं भेजा जाता है क्योंकिआपका स्टॉपलॉस 90 पर है और अभी स्टॉक 100 पर चल रहा है। अगर स्टॉक ब्रोकर अभी ही आपका ऑर्डर एक्सचेंज में भेजेगा तो वह लिमिट ऑर्डर की वजह से 90 पे अभी ही एग्जीक्यूट हो जाएगा।

इसीलिए स्टॉक ब्रोकर ट्रिगर प्राइस की हेल्प से आपके स्टॉपलॉस ऑर्डर को एक्सचेंज में भेजने से रोकते हैं। और जब आपका भरा हुआ ट्रिगर प्राइस आ जाता है मान लीजिए स्टॉक गिरते गिरते 95 पर आ गया और आपने अपना ट्रिगर प्राइस में ₹95 डाला हुआ है तो उसी टाइम आपका ऑर्डर एक्सचेंज में भेज दिया जाएगा और ₹95 के नीचे 94, 93, 92, कहीं पर भी आपका ऑर्डर एग्जीक्यूट हो जाएगा आपकी पोजीशन कट जाएगी।

अगर आपने ट्रिगर प्राइस 95 डाला हुआ है और लिमिट प्राइस 90 डाला हुआ है तो आपका ऑर्डर 95 से 90 के बीच में कटेगा। मतलब यह 94.5, 94, 93, 92 कुछ भी हो सकता है। 

इसीलिए ट्रिगर प्राइस डालते वक्त यह भी ध्यान रखें कि आपका लिमिट प्राइस और ट्रिगर प्राइस में ज्यादा अंतर ना हो। इसी की उदाहरण ले तो अगर आपका स्टॉपलॉस 90 है तो आप ट्रिगर प्राइस लगभग 91 या 92 रखें। इससे ज्यादा ना रखें।

जैसा कि हमने अब तक देखा है कि शेयर मार्केट में सिर्फ दो ही आर्डर होते हैं एक होता है Buy का और दूसरा होता है Sell का ऑर्डर। ट्रिगर प्राइस आपके buy और sell के आर्डर को एक्टिवेट करने का काम करता है।

इसका मतलब यह है कि Trigger Price आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।

ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।

जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: Trigger Price और Limit Price। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।

जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।

Trigger price meaning: मान लीजिए आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा है और आप उसका स्टॉप लॉस ₹90 रखना चाहते हैं। स्टॉप लॉस का यहां मतलब यह है कि जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगे और ₹90 से नीचे चला जाए तो आप उस स्टॉक को बेचना चाहेंगे तो ज्यादा नुकसान सहना नहीं जाएंगे और आप ₹10 के नुकसान के साथ ही मार्केट से एग्जिट करना पसंद करेंगे।

इस स्थिति में जब आप अपना स्टॉपलॉस आर्डर लगाने लगेंगे तो आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज करने के लिए पूछा जाएगा। वह ट्रिगर प्राइस आपकी मर्जी का होगा आप जहां चाहे वहां ट्रिगर प्राइस रख सकते हैं। मान लीजिए अगर आप ट्रिगर प्राइस ₹95 रख देते हैं और लिमिट प्राइस ₹90 दर्ज कर देते हैं।

तो इस स्थिति में जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगेगा और ₹95 पर आ जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर ऑटोमेटिकली एक्टिवेट हो जाएगा और जब यह गिरते-गिरते ₹90 को पार कर जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्जिक्यूट हो जाएगा और आपके द्वारा खरीदा गया शेयर अपने आप ₹90 पर बिक जाएगा।

ट्रिगर प्राइस को शेयर को कम दाम पर खरीदने और ज्यादा दाम पर बेचने के लिए भी सेट किया जाता है।

स्टॉक मार्केट में बने रहना हो तो हमें हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ही काम करना चाहिए और एक सीमित नुकसान के साथ मार्केट से निकल जाना चाहिए अगर मार्केट हमारी दिशा में ना चल रहा हो।