पुनर्बीमा क्या है? पुनर्बीमा के प्रकार

पुनर्बीमा क्या है

हम जानते हैं कि हम हर दिन किसी न किसी जोखिम से घिरे रहते हैं इसीलिए हम अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा खरीदते हैं। आज के इस युग में कोई भी सुरक्षित नहीं है, आपकी बीमा कंपनी भी नहीं। एक बीमा कंपनी को भी सुरक्षा की जरूरत पड़ती है। इसीलिए बीमा कंपनियां पुनर्बीमा खरीदती है। आज हम पुनर्बीमा क्या है और इसके कितने प्रकार हैं पर चर्चा करेंगे।

साधारण भाषा में जब कोई बीमा कंपनी अपने लिए किसी दूसरी कंपनी से बीमा खरीदती है तो हम उसको पुनर्बीमा (reinsurance) कहते हैं। पुनर्बीमा बेचने वाली कंपनी कोई भी साधारण बीमा कंपनी हो सकती है या एक ऐसी कंपनी हो सकती है जो सिर्फ इस तरह का बीमा ही बेचती है।

एक बीमा कंपनी अपने लिए पुनर्बीमा कई कारण से ले सकती है उदाहरण के तौर पर अपना जोखिम कम करने के लिए या अपनी क्षमता से ज्यादा इंश्योरेंस कवर बेचने के लिए। पुनर्बीमा खरीदने के पीछे कंपनी का एकमात्र उद्देश्य अपना जोखिम कुछ हद तक कम करना होता है।

यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि पॉलिसीधारकों का बीमा अनुबंध सीडिंग कंपनी (जो असल में ग्राहक को पॉलिसी बेचती है) के साथ होता है। जिसका मतलब है कि पॉलिसीधारकों का क्लेम इसी कंपनी को भरना पड़ेगा। पॉलिसीधारकों को पुनर्बीमाकर्ता (जो बीमा कंपनी का बीमा करती है) के पास जाने की कोई जरूरत नहीं होती है क्योंकि उनका कोई भी लेनदेन पुनर्बीमाकर्ता के साथ नहीं होता है।

पुनर्बीमा क्या है

पुनर्बीमा क्या है?

पुनर्बीमा बीमा का एक प्रकार है जिसमें एक बीमा कंपनी दूसरी बीमा कंपनी से अपने लिए कवर खरीदती है जिससे वह अपनी बीमा देयताएं का कुछ हिस्सा दूसरी कंपनी पर डाल देती है। इस तरह कंपनी लंबे समय तक बिजनेस में रह सकती है, मुनाफा कमा सकती है और इंश्योरेंस क्लेम को आसानी से पूरा कर सकती है।

जो कंपनी दूसरी बीमा कंपनियों का बीमा करती है उसे पुनर्बीमाकर्ता (reinsurer) कहां जाता है और इसी तरह जो कंपनी अपना बीमा कवर दूसरी कंपनी से खरीदती है उसे हम सीडिंग कंपनी (ceding company, cedant) कहते हैं।

भारत के पंजीकृत पुनर्बीमाकर्ता की सूची यहां देखें।

इस तरह के बीमा में सीडिंग कंपनी ग्राहक द्वारा दिए गए प्रीमियम का कुछ हिस्सा पुनर्बीमाकर्ता को प्रीमियम के रूप में देती है और बदले में पुनर्बीमाकर्ता तय किए गए नुकसान की भरपाई के लिए तैयार हो जाता हैं। उदाहरण के लिए पर मान लीजिए सीडिंग कंपनी प्रीमियम का 25 प्रतिशत पुनर्बीमाकर्ता को देने को तैयार हो जाती है तो उसके बदले पुनर्बीमाकर्ता क्लेम की 25 प्रतिशत राशि खुद से देगा।

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एक बीमा कंपनी पुनर्बीमा क्यों खरीदती है? – पुनर्बीमा के लाभ

लगभग हर बीमा कंपनी पुनर्बीमा कवर लेती है इसका एकमात्र उद्देश्य कंपनी को अनदेखे जोखिम से बचाना होता है। यहां नीचे पुनर्बीमा के लाभ मुख्य लाभ दिए गए:

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए बीमा कंपनी ने 100 पॉलिसी बेतची है और सारे पॉलिसीधारक एक साथ बीमा दावा कर देते हैं। ऐसे में बीमा कंपनी घाटे में चली जाएगी। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए बीमा कंपनी पुनर्बीमा लेती है।

इसी तरह जब कंपनी अपनी क्षमता से ज्यादा कवरेज बेचना चाहती है तो भी वह इस तरह का बीमा चुनती है।

पुनर्बीमा में ऐच्छिक पुनर्बीमा (Facultative Reinsurance) और संधि पुनर्बीमा (Treaty Reinsurance) कवर होते हैं।

ऐच्छिक पुनर्बीमा (Facultative Reinsurance) मुख्य बीमा कंपनी द्वारा खरीदा जाता है जिससे कि वह अपनी क्षमता से ज्यादा क्लेम राशि भर सके, असामान्य जोखिम या असामान्य रूप से क्लेम मिलने की तिथियों से निपट सके।

संधि पुनर्बीमा (Treaty Reinsurance) संधि में सीडिंग कंपनी बेची गई पॉलिसियों के प्रीमियम में से कुछ प्रतिशत रीइंस्योरर को देने के लिए तैयार हो जाती है और उसके बदले रीइंस्योरर बीमा अनुबंध के अंतर्गत आने वाले जोखिम के लिए कवर प्रदान करती है।

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पुनर्बीमा कौन सी कंपनियां बेचती है?

इंश्योरेंस कंपनियों में कुछ कंपनियां ही इस तरह का बीमा बेचती है क्योंकि सीडिंग कंपनी का क्लेम सेटल करने के लिए ज्यादा पूंजी निवेश की जरूरत होती है। पुनर्बीमाकर्ता भी अपना जोखिम कवर ज्यादा होने पर पुलिंग करके जोखिम दूसरे पुनर्बीमाकर्ता से सांझा कर लेते हैं, उनको भी कुछ प्रीमियम का प्रतिशत देकर।

आगे हम पुनर्बीमा के प्रकार जानेंगे।

पुनर्बीमा के प्रकार

आनुपातिक (Proportional)

यह पॉलिसी संधि पुनर्बीमा के एक प्रकार अंतर्गत आती है। आनुपातिक पुनर्बीमा में पुनर्बीमाकर्ता (एक या एक से ज्यादा) निश्चित या तय किए गए अनुपात में प्रीमियम का प्रतिशत आपस में बांट लेते हैं और उसी अनुपात में क्लेम की राशि, पॉलिसीधारक द्वारा दावा करने पर, अदा करते हैं।

गैर-आनुपातिक (Non-proportional)

यह भी संधि पुनर्बीमा के अंतर्गत है। इस तरह के पुनर्बीमा के प्रकार में सीडिंग कंपनी एक तय राशि के बाद के लिए कवर खरीदती है। जब सीडिंग कंपनी द्वाराअदा किए जाने वाले इंश्योरेंस क्लेम की राशि पुनर्बीमा में तय की गई राशि से ऊपर चली जाती है तो इस स्थिति में ऊपर की क्लेम राशि पुनर्बीमाकर्ता द्वारा दी जाती है।

गैर-आनुपातिक पुनर्बीमा के दो रूप होते हैं: नुकसान की अधिकता (Excess of loss) और स्टॉप लॉस (stop loss)।

जोखिम संलग्न आधारित (Risks attaching basis)

यदि क्लेम की तारीख पुनर्बीमा अनुबंध अवधि के भीतर है (लेकिन वास्तव में दावे बहुत पहले किए हो सकते हैं) तो इस पुनर्बीमा के प्रकार में ये कवर किए जाते हैं।

होने वाले नुकसान आधारित ( Losses occurring basis)

इस तरह के पुनर्बीमा अनुबंध में सभी तरह के क्लेम पॉलिसी अवधि के दौरान भरे जाते हैं बिना यह देखिए की पॉलिसी कब शुरू हुई है। यदि वास्तविक हानि होने की तिथि पुनर्बीमा अनुबंध अवधि के भीतर है, तो ये कवर किए जाते हैं।

किए गए दावे पर अधारित (Claims-made basis)

इस पुनर्बीमा के प्रकार में पॉलिसी अवधि के दौरान दावे की तिथि की अपेक्षा किए बिना सभी क्लेम जो र्बीमाकर्ता को मिलते हैं भरे जाते हैं।