बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कहां और कैसे करें?

बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत

अगर आप अपनी बीमा कंपनी की सेवाओं से संतुष्ट नहीं या आपकी बीमा कंपनी पॉलिसी में दी गई शर्तों का पालन नहीं कर रही है या आपकी शिकायत का निवारण नहीं कर रही है तो एक बीमा एजेंट की हैसियत से मैं आपकी मदद करने की कोशिश करूंगा। जहां मैं आपको बताऊंगा कि आप बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कहां-कहां पर दर्ज करवा सकते हैं।

बीमा स्पष्ट रूप से बीमित व्यक्ति और बीमाकर्ता के बीच एक कानूनी करार होता है और इसकी बुनियाद भरोसे पर होती है जिसका अर्थ है कि बीमा बेचते वक्त कंपनी को सभी तथ्य अच्छी तरह से बीमा धारक के सामने रखने चाहिए और बीमा धारक को प्रपोजल फॉर्म में सारी जानकारी सही से भरनी चाहिए।

जरूरत पड़ने पर बीमा की राशि बीमित व्यक्ति को देने के लिए बीमा कंपनी कानूनी रूप से बाध्य होती है। अगर आपका इन्शुरन्स क्लेम कंपनी द्वारा नहीं दिया जा रहा है और आपको लगता है कि आपकी बीमा कंपनी बिना किसी वजह के आपका क्लेम रिजेक्ट कर रही है तो घबराइए नहीं आपके पास बहुत सारे माध्यम है जिनसे आप कंपनी को क्लेम देने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

भारत में आईआरडीएआई (भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण) एजेंसी बीमा उद्योग को नियंत्रित करती है। आईआरडीएआई पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए बीमा कंपनियों के लिए कड़े नियम और विनियम बनाती है।

पॉलिसी मिस-सेलिंग और बेवजह क्लेम अस्वीकार को रोकने के लिए, प्राधिकरण ने बीमाकर्ताओं के लिए कई नियम बनाए हैं और यह नियमित रूप से जांच करती है कि क्या बीमाकर्ता इसके दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं या नहीं।

आम तौर पर, कोई बीमाकर्ता आईआरडीएआई के कड़े दिशानिर्देशों के कारण अनिवार्य रूप से इन्शुरन्स क्लेम को अस्वीकार नहीं करता है। फिर भी अगर आपको लगता है कि आपकी कंपनी बेवजह क्लेम देने से मना कर रही है तो इस स्थिति में आपके पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने के बहुत विकल्प होते हैं।

एक बार क्लेम रिजेक्ट होने के बाद बीमा धारक को अपना दावा लेने के लिए कुछ चरणों का पालन करना पड़ता है जैसे कि सबसे पहले अपनी बीमा कंपनी में शिकायत दर्ज करनी पड़ती है और बताना पड़ता है कि आपका क्लेम क्यों ऑनर किया जाना चाहिए।

अगर जीवन बीमा शिकायत का निवारण नहीं करती है तो उसके बाद बीमित व्यक्ति अपने बीमा लोकपाल के पास जाकर शिकायत दर्ज करा सकता है। फिर भी अगर आप संतुष्ट नहीं होते हैं तो आप अदालत या उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियों में बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

आगे हम विस्तार में देखते हैं कि इन्शुरन्स क्लेम रिजेक्ट होने पर हमें क्या करना चाहिए।

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इन्शुरन्स क्लेम खारिज होने की स्थिति में बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं यदि:

  • बीमाकर्ता ने आपके दावे के अनुरोध को बेवजह खारिज कर दिया है।
  • बीमाकर्ता दावे निपटारे में देरी कर रहा है।
  • आप क्लेम सेटेलमेंट से असंतुष्ट हैं।
  • बीमा कंपनी पॉलिसी की शर्तों का पालन नहीं कर रही है।
  • आपको गलत पॉलिसी बेची गई है।

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सबसे पहले जाने आपका इन्शुरन्स क्लेम क्यों खारिज किया गया है

बीमा कंपनी द्वारा इन्शुरन्स क्लेम खारिज होने की स्थिति में सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें कि आपका क्लेम क्यों रिजेक्ट किया गया है। बीमा कंपनी पत्र, ई-मेल, एसएमएस, या फोन के द्वारा यह बताती है कि वह किस वजह से आपका बीमा दावा खारिज कर रही है।

क्लेम खारिज होने के कारण को अच्छी तरह से देखें और फिर तय करें कि बीमा कंपनी ने आपका क्लेम बेवजह खारिज किया है या किसी वजह से।

अगर आपको लगता है कि आपका इन्शुरन्स क्लेम ऑनर किया जाना चाहिए था तो आप नीचे दिए गए चरणों का पालन कर बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

अगर आपको सही में लगता है कि आपका क्लेम बिल्कुल सही है और आपकी बीमा की शर्तों के अनुसार है तो आपको कोई भी क्लेम लेने से रोक नहीं सकता बस आपको कानूनी तौर से चलना होगा।

क्या मेरी बीमा पॉलिसी क्लेम की वजह को कवर करती है?

बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने से पहले आपको अपनी इन्शुरन्स पॉलिसी के डॉक्यूमेंट को पढ़ना होगा और उसमें यह देखना होगा कि जिस वजह से आपने इन्शुरन्स क्लेम किया है क्या वह वजह आपकी पॉलिसी कवर करती है या नहीं। आपको डाक द्वारा जो एश्योरेंस पॉलिसी भेजी जाती है उसमें साफ-साफ लिखा होता है कि आपकी पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहीं।

एक बार जब आपको यकीन हो जाए कि आपकी पॉलिसी क्लेम के कारण को कवर करती है तो अपना इन्शुरन्स क्लेम लेने के लिए आगे दिए गए चरणों का पालन करें।

बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत

बीमा कंपनी इन्शुरन्स क्लेम देने से मना करे तो क्या करें? – Insurance Claim Rejected?

बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करना बहुत आसान है लेकिन आपको एक पूर्वनिर्धारित प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है उदाहरण के लिए अन्य अधिकारियों के पास जाने से पहले आपको कंपनी के शिकायत निवारण अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करवानी पड़ेगी।

नीचे इन्शुरन्स कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने की प्रक्रिया बताई गई है। आप इसमें सबसे पहले अपनी शिकायत बीमा कंपनी द्वारा गठित इन्शुरन्स रिड्रेसल दफ्तर में रजिस्टर करवाएंगे और वहां से रसीद लेंगे।

उसके बाद अगर आपकी शिकायत का निवारण नहीं होता है तो आप बीमा लोकपाल के पास जाएंगे। अगर बीमा लोकपाल में केस डालने के बाद भी आप संतुष्ट नहीं होते हैं तो आप अपनी शिकायत अदालत या उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियों में ले जा सकते।

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1. अपनी कंपनी के बीमा शिकायत निवारण दफ्तर में शिकायत दर्ज करवाएं

सरकार के दिशा निर्देशों के कारण हर कंपनी को इन्शुरन्स रिड्रेसल दफ्तर स्थापित करना पड़ता है जहां पर ग्राहक आकर अपनी जीवन बीमा शिकायत दर्ज करवा सकता हैं। उस शिकायत का निवारण 15 से 30 दिन में हो जाना चाहिए।

अपनी बीमा कंपनी के दफ्तर में जाकर लिखित में शिकायत दर्ज करवाएं। उसमें साफ-साफ बताएं कि क्यों आपका इन्शुरन्स क्लेम खारिज करने का कारण गलत है और आपकी पॉलिसी में यह कवर किया जाता है। हो सके तो पॉलिसी की नियम और शर्तों की फोटो कॉपी साथ में लगा कर कारण को हाईलाइट कर दें।

शिकायत करने के बाद लिखित रसीद लेना ना भूलें। अगर आप ऐसा नहीं करते तो बाद में आपको दिक्कत होगी। कंपनी को ग्राहक को शिकायत का बेयरा पॉलिसीधारक को रसीद पर या ई-मेल के माध्यम से देना जरूरी होता है।

अपनी रसीद लेते वक्त यह पूछे कि आपकी शिकायत का निवारण कितने दिन में हो जाएगा। आपको कंपनी द्वारा दिए गए समय का इंतजार करना होगा। आमतौर पर बीमा कंपनियां 7 से 15 दिन के बीच में बीमा शिकायतों का निवारण करती है।

अगर आपकी शिकायत में कंपनी को लगता है कि उससे गलती से आपका बीमा दावा अस्वीकार हो गया है तो एक अच्छी कंपनी ग्राहक का क्लेम सेटल कर देती है। अगर किसी वजह से कंपनी फिर से आपका क्लेम देने से मना कर देती है तो घबराए नहीं आपके पास और माध्यम भी है।

इन्शुरन्स कंपनी द्वारा शिकायत का निवारण ना होने पर आप दूसरे चरण का पालन कर सकते हैं।

यह जरूरी नहीं है लेकिन फिर भी आप कर सकते हैं: ऑनलाइन एकीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (Integrated Grievance Management System) के साथ अपनी बीमा शिकायत दर्ज करें।

अगर आपकी बीमा कंपनी आपकी शिकायत का निवारण जल्दी नहीं कर रही है तो आप आईआरडीएआई द्वारा बनाई गई ऑनलाइन इंटीग्रेटेड ग्रीवेंस मैनेजमेंट सिस्टम की वेबसाइट पर अपनी इन्शुरन्स क्लेम कंप्लेंट रजिस्टर करवा सकते हैं जिससे कंपनी को जल्दी आपकी शिकायत का निवारण करना पड़ता है।

यदि आप बीमाकर्ता निर्दिष्ट समय (15 दिनों) में आपकी शिकायत का जवाब नहीं देता तो आप अपनी शिकायत IGMS की वेबसाइट पर पंजीकृत कर सकते हैं। अगर आपको पहले से ही बीमा कंपनी से जवाब मिल चुका है तो इस वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करवाने का कोई फायदा नहीं होगा।

ऑनलाइन बीमा शिकायत कैसे दर्ज करें? (वैकल्पिक)

  • http://igms.irda.gov.in/ पर जाएं और आवश्यक विवरण दर्ज करके स्वयं को पंजीकृत करें।
  • पंजीकरण के बाद, एक शिकायत दर्ज करें और पंजीकरण करें।
  • आप अपनी शिकायत की स्थिति भी ट्रैक कर सकते हैं।

ध्यान दें: इस वेबसाइट पर केवल शिकायत निवारण में देरी जैसी शिकायतें दर्ज की जा सकती है। बीमाकृत अन्य इन्शुरन्स क्लेम मामलों के लिए न्यायिक चैनलों अर्थात ओम्बुडसमैन, उपभोक्ता अदालत या सिविल कोर्ट से संपर्क कर सकते हैं।

आईआरडीएआई से संपर्क करें

पॉलिसीधारक बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए IRDA ग्राहक सेवा नंबर पर कॉल कर सकते हैं:

18004254732

वैकल्पिक रूप से वे 155255 पर भी कॉल कर सकते हैं।

लिखित शिकायत डाक के माध्यम से भेजने के लिए, आईआरडीए शिकायत फॉर्म डाउनलोड करें। विवरण भरें, समर्थन दस्तावेज संलग्न करें और इसे उल्लिखित पते पर भेजें:

General Manager
Insurance Regulatory and Development Authority of India(IRDAI)
Consumer Affairs Department – Grievance Redressal Cell.
Sy.No.115/1, Financial District, Nanakramguda,
Gachibowli, Hyderabad – 500 032.

इसी तरह https://igms.irda.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।

सहायक दस्तावेजों के साथ एक लिखित शिकायत IRDA ग्राहक सेवा ईमेल पते complaints@irda.gov.in पर भी भेजी जा सकती है।

2. अपने बीमा लोकपाल के पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत करें

बीमा लोकपाल क्या होता है?

1998 में भारत सरकार ने बीमा दावे निपटारे से संबंधित विवादों को हल करने के लिए बीमा अधिनियम 1938 के तहत बीमा लोकपाल योजना का गठन किया है। इसने इन्शुरन्स क्लेम से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए एक कुशल और लागत प्रभावी तरीका पेश किया गया है।

पॉलिसीधारक जो बीमाकर्ताओं द्वारा इन्शुरन्स क्लेम सेटेलमेंट से संतुष्ट नहीं है वह अपने नजदीकी बीमा लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं।

भारत सरकार ने बीमा धारकों के हितों की रक्षा करने के लिए बीमा लोकपाल एजेंसी का गठन किया है जिसमें पॉलिसीधारक बीमा से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए जा सकते हैं। बीमा लोकपाल (Insurance ombudsman) बीमा धारक और बीमा कंपनी के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। एक बार शिकायत मिलने पर यह दोनों तरफ की दलीलों के सुनने के बाद क्लेम सेटेलमेंट करवाता है।

बीमा लोकपाल सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति होता है और बीमा लोकपाल के पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने पर किसी तरह का खर्चा नहीं देना पड़ता है। यह अपनी सेवाएं मुफ्त में प्रदान करता है।

बीमा लोकपाल के पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने से पहले बीमाधारक को अपनी बीमा कंपनी में शिकायत दर्ज करनी होती है जैसे कि पहले चरण में बताया गया है। अगर कंपनी शिकायत का निवारण नहीं करती है या 30 दिन के भीतर शिकायत का कोई जवाब नहीं देती है या इन्शुरन्स क्लेम सेटलमेंट में जरूरत से ज्यादा समय ले रही है तो पॉलिसी धारक बीमा लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवा सकता है।

इस समय पूरे भारत में 17 बीमा लोकपाल है और आप इनमे से किसी के पास भी अपनी बीमा शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। बीमा लोकपाल के पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने का कोई शुल्क नहीं होता है और इसके लिए आपको किसी वकील या विशेषज्ञ की जरूरत नहीं होती है।

इन्शुरन्स अम्बुडसमैन के पास जाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि पॉलिसी धारक अगर क्लेम सेटेलमेंट से संतुष्ट नहीं है तो वह कोर्ट में जा सकता है लेकिन इन्शुरन्स कंपनी को बीमा लोकपाल के द्वारा तय किए गया मुआवजा पॉलिसी धारक को देना ही पड़ता है। बीमा लोकपाल योजना में 20 लाख तक के बीमा पॉलिसी की सुनवाई की जा सकती है।

जैसे कि ऊपर बताया गया है अगर आप इन्शुरन्स अम्बुडसमैन द्वारा पॉलिसी सेटेलमेंट से असंतुष्ट है तो आप कोर्ट में जाकर बीमा कंपनी के खिलाफ केस दर्ज करवा सकते हैं।

ध्यान दें: अगर आपका बीमा क्लेम सही होगा तभी बीमा लोकपाल आपकी मदद कर पाएगा। अन्यथा आपका, बीमा कंपनी का, और बीमा लोकपाल का समय ही खराब होगा।

बीमा लोकपाल की सूची देखने के लिए आईआरडीएआई की वेबसाइट के इस पेज (क्लिक करें) पर जाएं।

महत्वपूर्ण बातें:

  • लोकपाल के साथ शिकायत दर्ज करने से पहले बीमाकर्ता के शिकायत निवारण अधिकारी से संपर्क करना अनिवार्य है। अगर आप बीमाकर्ता द्वारा जवाब से असंतुष्ट हैं तो शिकायत दायर की जा सकती है।
  • अगर लोकपाल सोचते है कि आपकी शिकायत सही नहीं है तो लोकपाल आपकी शिकायत को अस्वीकार कर सकते है।
  • ओम्बुडसमैन को शिकायत मिलने के 3 महीने के भीतर शिकायत का निवारण करना पड़ता है।
  • अगर लोकपाल आपसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहता है तो वह आवश्यक पुरस्कार दे सकता है। पुरस्कार स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्णय पॉलिसीधारक का होता है लेकिन बीमा कंपनी निर्णय का अनुपालन करने के लिए बाध्य होती है।
  • यदि पॉलिसीधारक लोकपाल द्वारा दिए गए पुरस्कार को स्वीकार करता है तो उसको लोकपाल को लिखित सूचना देनी पड़ती है।
  • आपको बीमा लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराने के लिए वकील की आवश्यकता नहीं है।
  • क्लेम रिव्यूज होने की तारीख से एक साल बाद शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती।
  • यदि आपकी शिकायत उपभोक्ता अदालत या कानून की किसी भी अदालत में है तो बीमा लोकपाल के पास जाने से पहले फैसले का इंतजार करें।

लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवाने की प्रक्रिया:

  • नजदीकी लोकपाल का पता आईआरडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त किए जा सकता हैं या आप इसके लिए बीमाकर्ता की शाखा/वेबसाइट पर जा सकते हैं।
  • अपनी शिकायत का समर्थन करने वाले दस्तावेज़ों के साथ संबंधित लोकपाल को लिखित रूप में अपनी शिकायत सबमिट करें। शिकायत पोस्ट द्वारा भेजी जा सकती है।

अगर बीमा लोकपाल के सामने आप अपना पक्ष रखने में असमर्थ है तो कुछ निजी कंपनियां होती हैं जो बीमित व्यक्तियों की मदद करती है लोकपाल के सामने उनका पक्ष रखने में। इसके बदले में आपको उनको कुछ फीस देनी पड़ती है।

यह भी ध्यान रखें कि अगर आपका इन्शुरन्स क्लेम स्वीकार कर लिया जाता है तो बीमा कंपनी ऐसी फीस जो आपने निजी कंपनी को दी होती है उसके लिए मुआवजा नहीं देती।

3. क्लेम लेने के लिए बीमा कंपनी के खिलाफ अदालत में केस करें

ज्यादातर पॉलिसी होल्डर बीमा लोकपाल द्वारा किए गए निर्णय से संतुष्ट हो जाते हैं। क्योंकि लोकपाल बिल्कुल सही फैसला करते हैं। लेकिन फिर भी अगर आप लोकपाल द्वारा किए गए फैसले से संतुष्ट नहीं है तो आपके पास आखरी विकल्प बचता है कि आप बीमा कंपनी के खिलाफ अदालत में केस दर्ज करें। आप उपभोक्ता अदालत (consumer court) में शिकायत दर्ज कर सकते हैं ।

जहां पर आपकी बीमा शिकायत का निवारण जल्दी से जल्दी किया जाएगा या आप एक वकील की मदद से जिला अदालत में भी अपना केस रजिस्टर करवा सकते हैं। अदालत तथ्यों के आधार पर यह तय करती है कि पॉलिसी धारक को बीमा कंपनी द्वारा इन्शुरन्स क्लेम अदा किया जाना चाहिए या नहीं।

एक बार कंपनी द्वारा क्लेम रिजेक्ट कर देने पर पॉलिसी धारक दूसरी एजेंसियों से संपर्क कर सकता है अपना क्लेम लेने के लिए। आप बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियों में दर्ज करवा सकते हैं जो आपकी मदद करेंगे इन्शुरन्स क्लेम लेने के लिए।

विवाद निवारण एजेंसियां जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित की गई है और बीमा की राशि के हिसाब से इन एजेंसियों में अपनी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।

सबसे पहले देखें आपकी शिकायत किस उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसी के अंतर्गत आती है। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के हिसाब से 3 तरह (जिला फोरम, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग) की शिकायत निवारण एजेंसियां है।

  • अगर इन्शुरन्स क्लेम की राशि 20 लाख से कम है तो शिकायतकर्ता को जिला फोरम में जाना होगा।
  • इसी तरह अगर राशि 20 लाख से ज्यादा और एक करोड़ से कम है तो शिकायत राज्य आयोग में दर्ज करवानी होगी।
  • अगर बीमा क्लेम की राशि एक करोड रुपए से ज्यादा होती है तो राष्ट्रीय आयोग में शिकायत दर्ज करवानी पड़ती है।

महत्वपूर्ण बातें:

  • यदि आपकी शिकायत बीमा लोकपाल के पास दर्ज है तो उपभोक्ता या दूसरी अदालत में जाने से पहले लोकपाल के निर्णय का इंतजार करें।
  • यदि बीमा दावा राशि 20 लाख या उससे कम है तो जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (District Consumer Disputes Redressal Forum) में मामला दर्ज किया जा सकता है।
  • राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (State Consumer Disputes Redressal Forum) 20 लाख से अधिक और 1 करोड़ से कम राशि के मामलों को सुन सकता है।
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (National Consumer Disputes Redressal Forum) उन मामलों से निपट सकता है जहां मुआवजे का मूल्य 1 करोड़ से अधिक हो।

प्रक्रिया:

सभी तथ्यों को बताते हुए अपनी शिकायत लिखें और स्पष्ट रूप से उल्लेख करें कि आप किस मुआवजे या राहत की मांग कर रहे हैं।

अपनी बीमा शिकायत संबंधित उपभोक्ता मंच (Consumer Forum) पर जमा करें जिसके अधिकार क्षेत्र में आपका मामला आता है (उपरोक्त महत्वपूर्ण बिंदु पढ़ें)।

अगर आप अपनी शिकायत दूसरी अदालत जैसे कि जिला अदालत में दर्ज करवाना चाहते हैं तो आपको किसी वकील की सहायता लेनी पड़ेगी। लेकिन उपभोक्ता अदालत में ऐसा करने के लिए आपको वकील की जरूरत नहीं पड़ेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

बीमा लोकपाल में केस डालने के बाद कितना टाइम लगता हैं?

एक बार बीमा लोकपाल में केस डालने के बाद, इन्शुरन्स अम्बुडसमैन 15 दिन में शिकायत की सुनवाई शुरू कर देता है और 3 महीने के बीच में शिकायत का निवारण कर दिया जाता है।

भारत में कितने बीमा लोकपाल है?

IRDAI द्वारा नियुक्त देश भर में 17 बीमा लोकपाल हैं जो पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा के लिए काम करते हैं। लोकपाल आमतौर पर बीमा उद्योग, न्यायिक सेवाओं और सिविल सेवाओं से होते हैं।

बीमा कंपनी के खिलाफ कहां-कहां शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है?

  • बीमा कंपनी के शिकायत निवारण अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करें।
  • मामले को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के पास ले जाए।
  • 12 महीने के भीतर बीमा लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
  • कंपनी के खिलाफ शिकायत अदालत में मुकदमा किया जा सकता है (उपभोक्ता या नागरिक)।

“बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कहां और कैसे करें?” के लिए प्रतिक्रिया 8

  1. बीमा लोकपाल के पता (डाक का पता) की लिस्ट कहां मिल सकती है?

  2. श्रीमान जी से निवेदन है कि मेरी दवा की दुकान है और हमने बजाज एलियांज कराया गया था प्रार्थी की दुकान में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई जिसमें मेरी रखी गई दवा तकरीबन ₹500000 कि जल गई तो सर्वेयर द्वारा सर्वे करने पर ₹480000 की दवा डैमेज रिपोर्ट बनाई गई जिसमें मेरा इंसुरेंस सिर्फ चार लाख का ही था तो बीमा कंपनी वालों ने रिजेक्ट दवा सर्वे के बाद ₹123000 सिर्फ डैमेज क्लेम दे रहे हैं जबकि ₹400000 का इंसुरेंस था उसके हिसाब से 62.9 परसेंटेज तक की राशि मंजूर किया गया था बीमा पेपर पर जली दवा कि राशी मे एक्स्ट्रा राशी की दवा को घटाकर हमने इंसुरेंस राशि के हिसाब से बाकी राशि की दवा घटाकर ₹400000 के हिसाब से मांगा और प्रार्थी को उसी हिसाब से 62.9 प्रतिशत राशि जो बनती 251600 मिलना चाहिए था जो कंपनी देने से इंकार कर रही है

  3. जली हुई दवा की राशि 480000 व बीमा की राशि 400000 के हिसाब से जली हुई एक्स्ट्रा राशि की दवा घटाकर इंश्योरेंस राशि 400000 के अमाउंट का के हिसाब से डैमेज दवा में 400000 की डैमेज का तो मिलना चाहिए था बाकी एक्स्ट्रा राशि की जली दवा को घटाकर

    जली हुई दवा 480000
    एक्स्ट्रा जली दवा मे घटा। – 80000
    घटाने के बाद की राशि = 400000

    इंसुरेंस की राशि। 400000×62.9%

    = 251600 मिलना चाहिए था इस हिसाब से होना चाहिए था
    मिलना चाहिए था जली हुई दवा 400000 इंसुरेंस 400000 के हिसाब से 251600 हुआ
    400000× 62. 9% = 251600 मिलना चाहिए था

  4. मेरी बीमा पालिसी एस बी आई लाइफ स्मार्ट मनी बेक गोल्ड पालिसी है इसमें पहले दो साल प्रीमियम मे जमा करा चुका हूं फिर कोरोना होने के कारण नही भर पाया हूं अगस्त 2021 मे कंपनी ने मुझे सम्पर्क किया था की आप तीन साल की प्रीमियम एक साथ जमा करेंगे तो ही पालिसी चालू होगी मैने कंपनी को निवेदन किया था कि में कोरॉना मे मेरा बिजनेस नही होने के कारण प्रीमियम एक साथ नहीं जाम कर सकता हूं मगर फिर भी कंपनी मुझे एक साथ प्रीरियाम जाम नही करने के कारण मेरी पालिसी समाप्त कर दी गई है व मेरे जमा पैसे भी वापस करने से मना कर दिया है अत आप मुझे बताए की में क्या करू

  5. मेडिक्लेम प्रीमियम राशी से 2.5 गुना अर्थात 250 प्रतिशत रिनुअल राशी ले सकते है क्या ?

  6. Mera aur meri wife ka SBI life me 2 aur 1 premium jama hai lekin kovid ki wajah se mera business band ho chuka hai main aage is policy ko nahi chala sakta kya mujhe SBI life me jama premium ka Paisa wapas milega

  7. महोदय मैने एच०डी०एफ०सी० कम्पनी से अपनी गाडी का मोटर बीमा कराया था मेरी गाडी मे दुर्घाटनावश गाडी का शीशा टूट गया एवं आगे से भी गाडी क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिसके क्लेम हेतु मैने बीमा कम्पनी मे अपने सभी दस्तावेज जमा किये थे और बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा मेरी गाडी का सर्वे भी किया गया था जिसके फोटो एवं अन्य दस्तावेज प्रार्थी के पास सुरक्षित है किन्तु सर्वे करने के 15 दिन बाद कम्पनी द्वारा प्रार्थी का क्लेम अस्वीकार कर दिया गया ऐसी स्थिति मे प्रार्थी को क्या करना चाहिए

  8. Agar customer ki car me scratch or dant ya kuchh damage h to Motor vehicle insurance karte time insurance company ko customer ko koi letter dena hota h car ki present situation ke liye?
    Kyoki mene United India se apni car ka insurance policy Li thi, car accident me damage hone pr mene insurance claim Kiya, Sara procedure hone ke baad mujhe surveyor ne assessment details bheji ki mujhe 22k reimbursement hoga, mera bill amt 44k tha, pr jab mene service centre ka bill pay kr diya kyoki meri policy 0 depth nhi thi, to surveyor bolta h ki aapko koi reimbursement nhi milega kyoki aapki car me policy lete time scratch or dant the, isliye Paisa nhi milega., Ye baat mujhe usne survey ke time pr nhi boli or approval bhi diya kyo?