बीमा के प्रकार: बीमा कितने प्रकार के होते हैं?

आजकल बहुत सारे बीमा उत्पाद उपलब्ध है और लगभग हर किसी व्यक्ति और वस्तु का बीमा करवाया जा सकता है। किसी साधारण व्यक्ति के लिए बीमा के प्रकार जानना महत्वपूर्ण नहीं होगा लेकिन पेशेवर लोग जैसे कि फाइनेंशियल एडवाइजर, बीमा एजेंट या इससे जुड़े लोगों के लिए ऐसी बुनियादी जानकारी होना बहुत जरूरी होता है। 

यह आत्मविश्वास के स्तर को बनाने में मदद करता है और साथ ही यह अपने ग्राहकों को पेशेवर सलाह देने में मदद करता है। 

वैसे हर किसी को इस तरह की जानकारी होनी चाहिए क्योंकि बीमा हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इस पोस्ट में, हम बीमा क्या है, बीमा के प्रकार (गैर-जीवन और जीवन) पर चर्चा करेंगे। 

हालांकि, बीमा बाजार पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गया है लेकिन यह अभी भी एक ही सिद्धांत के तहत काम कर रहा है।

जैसे कि आप जानते होंगे कि इंश्योरेंस और री-इंश्योरेंस से जुड़ी बीमा कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए और उन्हें रेगुलेट करने के लिए हर देश में एक संस्था बनाई जाती है जैसे कि भारत में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) है। ऐसी संस्थाओं का काम होता है कि देश में बीमा उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए और साथ ही में पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा भी की जाए जिससे कि कोई बीमा कंपनी किसी ग्राहक से धोखा ना कर पाए। 

इसीलिए जब भी कोई बीमा कंपनी नया बीमा उत्पाद लाती है तो पहले उसको आईआरडीएआई जैसी संस्था से उत्पाद को बेचने की मंजूरी लेनी पड़ती है। अगर संस्था उत्पाद में कोई कमी पाती है तो कंपनी को उत्पात को बेचने से मना भी कर सकती है। 

मूल रूप से 3 तरह के बीमा: जीवन बीमा, गैर-जीवन बीमा, और पुनर्वास बीमा (re-insurance) होते है। आगे जो भी बीमा के प्रकार आप देखते हैं वह सब बीमा इन तीन के अंतर्गत ही आते हैं। 

अभी हम बीमा और बीमा के प्रकार (types of insurance) के बारे में चर्चा करेंगे।

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types of insurance bima ke prakar

बीमा के प्रकार - Types of Insurance in Hindi

मूल रूप से बीमा तीन तरह का होता है:

  1. जीवन बीमा - Life Insurance
  2. गैर-जीवन बीमा - General Insurance
  3. पुनर्बीमा - Reinsurance

1. जीवन बीमा - Life Insurance

जीवन बीमा, बीमा के प्रकार में से एक है। जिसमें बीमाधारक को मृत्यु के खिलाफ कवरेज मिलता है। जीवन बीमा में, दो पक्ष (बीमा कंपनी और पॉलिसीधारक) पारस्परिक समझ के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करती हैं। 

जीवन बीमा के अनुबंध में, पॉलिसीधारक निर्दिष्ट घटनाओं के खिलाफ कवरेज प्राप्त करने के लिए प्रीमियम नामक शुल्क का भुगतान करता है और बीमाकर्ता नुकसान की स्थिति में तय की गई बीमा राशि देता है। 

आजकल जीवन बीमा कंपनियां सभी बीमा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई बीमा के प्रकार पेश करती हैं। 

उदाहरण के लिए मीयादी बीमा या टर्म लाइफ इंश्योरेंस उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है जो खुद की मृत्यु होने पर परिवार को आर्थिक तौर पर मजबूत करना चाहते हैं, आजीवन बीमा उन लोगों के लिए सर्वोत्तम है जो जीवन भर सुरक्षा चाहते हैं, और इसी तरह एंडाउमेंट बीमा योजनाएं उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो जीवन बीमा के साथ अपना पैसा निवेश करना चाहते हैं।

जीवन बीमा का मूल उदेश बीमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके परिवार को आर्थिक सहायता देना होता है। आपको कुछ ऐसी जीवन बीमा पॉलिसी देखने को भी मिलती है जिसमें पॉलिसी की अवधि पूरी होने पर बीमित को तय की गई राशि मिलती है। 

लेकिन जैसे कि बताया गया है जीवन बीमा का मूल उद्देश्य मृत्यु के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना ही होता है। जीवन बीमा में आपको नीचे दिए गए बीमा के प्रकार देखने को मिलते है।

जीवन बीमा के प्रकार



1.1 मीयादी बीमा या टर्म लाइफ इंश्योरेंस

मियादी बीमा को शुद्ध जीवन बीमा भी कहा जाता है। इसमें बीमित व्यक्ति एक निश्चित अवधि (5 साल, 10 साल, 15 साल और इससे ज्यादा) के लिए बीमा पॉलिसी खरीदता है और अगर पॉलिसी की अवधि में बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी द्वारा तय किया गया सम-इंश्योर्ड उसके द्वारा नामांकित व्यक्ति को दे दिया जाता है। 

अगर पॉलिसी खत्म होने तक बीमित व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती है तो किसी भी तरह का नकद मूल्य नहीं मिलता है।

1.2 ऋण जीवन बीमा

इस बीमा के प्रकार में ऋणकर्ता की मृत्यु हो जाने पर उसके द्वारा लिया गया कर्ज चुकाने के लिए तैयार की जाती है। ऐसी पॉलिसी होने से ऋणकर्ता के परिवार को उसकी मृत्यु के बाद कर्ज के आर्थिक बोझ से बचा सकती है।

1.3 स्थायी जीवन बीमा या परमानेंट लाइफ इंश्योरेंस

जीवन बीमा पॉलिसी निश्चित या अनिश्चित अवधि के लिए ली जाती है और बीमित व्यक्ति पॉलिसी की अवधि तक प्रीमियम अदा करता रहता है। स्थायी जीवन बीमा पॉलिसी तब तक चलती रहती है जब तक बीमित व्यक्ति प्रीमियम अदा करता रहता है। 

ऐसी पॉलिसियों में कैश-वैल्यू भी इकट्ठा होता रहता है जो की पॉलिसी की अवधि पूरी होने पर बीमित व्यक्ति को दे दिया जाता है या उसकी मृत्यु होने पर उसके नॉमिनी को दे दिया जाता है। 

स्थायी जीवन बीमा में दो बीमा के प्रकार देखने को मिलते हैं: होल लाइफ इंश्योरेंस और यूनिवर्सल लाइफ इंश्योरेंस। 

1.4 एंडाउमेंट बीमा 

यह पॉलिसी बीमित व्यक्ति की मृत्यु पर और पॉलिसी की अवधि खत्म होने पर पॉलिसी धारक के जीवित रहने पर बीमा राशि देने के लिए तैयार की गई है। इस तरह इस पॉलिसी में दोनों तरह से लाभ प्राप्त किए जा सकता है। एंडाउमेंट बीमा पॉलिसी एक तरह की बचत पॉलिसी होती है जो कि बीमा सुरक्षा के साथ आती है। 

अगर कोई व्यक्ति बीमा सुरक्षा के साथ रिटायरमेंट प्लैनिंग या बचत खाता चाहता है तो वह इस तरह की पॉलिसी का चुनाव कर सकता है। 

जीवन बीमा में और पॉलिसी भी होती है जैसे कि यूनिट लिंक्ड लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और मनी-बैक पॉलिसी ज्यादा जानकारी के लिए इस पोस्ट को पढ़ें, 'जीवन बीमा के प्रकार'।

2. गैर-जीवन बीमा - General Insurance

गैर-जीवन बीमा को सामान्य बीमा के रूप में भी जाना जाता है। इस बीमा के प्रकार में मिलने वाले लाभों के अलावा अन्य नुकसान के लिए कवरेज प्रदान करता है उदाहरण के लिए स्वास्थ्य बीमा, घर/संपत्ति बीमा, ऑटो बीमा, व्यापार बीमा इत्यादि। 

दूसरे शब्दों में, आप कह सकते हैं कि जीवन बीमा उत्पाद के अलावा बीमा के प्रकार जो कवर प्रदान करते हैं गैर-जीवन बीमा उत्पाद हैं। मोबाइल या गैजेट बीमा गैर-जीवन बीमा के तहत आता है जिसमें पॉलिसीधारक को भौतिक क्षति या उसके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट, एलईडी टीवी, नोटबुक इत्यादि की क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा मिलता है।

स्वास्थ्य बीमा को भी गैर-जीवन बीमा के तहत वर्गीकृत किया जाता है। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां ​​दुर्घटना या बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में किए गए चिकित्सा खर्चों के लिए कवर प्रदान करती हैं। 

यहां नीचे सामान्य बीमा के प्रकार (Bima ke prakar) दिए गए हैं। 

2.1 मोटर बीमा

मोटर बीमा में वाहन के लिए बीमा खरीदा जाता है जिसमें वाहन की क्षतिपूर्ति और तीसरे पक्ष के नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाती है। कानूनन सड़क पर वाहन चलाने के लिए वाहन चालक के पास थर्ड पार्टी इंश्योरेंस या कंप्रिहेंसिव पॉलिसी होनी चाहिए। 

हमने अलग पोस्टों में बताया है कि मोटर बीमा कितने प्रकार का होता है और कौन सा मोटर बीमा खरीदना चाहिए।

2.2 होम इंश्योरेंस

होम इंश्योरेंस में घर को और उसके सामान को सुरक्षा दी जाती है, यह भी बीमा के प्रकारों में से एक है। प्रकृतिक आपदा में घर के नुकसान की भरपाई या घर के सामान की चोरी होने पर बीमा कंपनी द्वारा क्षतिपूर्ति की जाती है। 

ज्यादातर लोग घर का बीमा नहीं करवाते लेकिन ऐसी पॉलिसी बहुत सस्ती होती हैं और उनके फायदे भी ज्यादा होते हैं हमारे अलग पोस्ट में हमने इस विषय पर विस्तार से चर्चा की है। 

2.3 यात्रा बीमा

इस बीमा के प्रकार में जैसे कि नाम दर्शाता है कि पॉलिसी यात्रा के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं और चिकित्सा आपातकाल स्थितियों के लिए कवरेज प्रदान करती है। यात्रा बीमा बहुत सस्ती दरों पर उपलब्ध होता है और ज्यादातर आपको हवाई या रेलवे टिकट बुक करते वक्त यात्रा बीमा खरीदने के लिए कहां जाता है। 

यह उल्लेखनीय है कि यात्रा खत्म होने के बाद यात्रा बीमा भी खत्म हो जाता है।  

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने हवाई यात्रा के लिए दिल्ली से ऑस्ट्रेलिया तक का यात्रा बीमा लिया है तो अब जब आप सुरक्षित ऑस्ट्रेलिया पहुंच जाओगे तो आपकी पॉलिसी बंद हो जाएगी। 

2.4 गैजेट बीमा

यह एक नया बीमा का प्रकार है जिसको कि बीमा कंपनियों ने मौजूदा टेक्नोलॉजिकल गैजेट्स को सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार किया है। ऐसी बीमा पॉलिसी में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए कवरेज प्रदान किया जाता है। लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप, नोटबुक, एलइडी टीवी के लिए बीमा पॉलिसी ली जा सकती है। 

एक अलग पोस्ट में हमने भारत की मशहूर गैजेट इंश्योरेंस कंपनियों के बारे में बताया है।

types of health insurance

2.5 स्वास्थ्य बीमा

स्वास्थ्य बीमा भी जनरल इंश्योरेंस के तहत आता है। इस बीमा के प्रकार में स्वास्थ्य संबंधित आवश्यकताओं के लिए कवरेज प्रदान किया जाता है जिसमें अस्पताल के खर्चे और मृत्यु के बाद परिवार को मुआवजा तक शामिल होता है। 

बहुत तरह की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी होती है जिनके बारे में यहां पर चर्चा की गई है।

2.6 फसल बीमा

फसल बीमा किसानों के लिए तैयार किया गया है जिसमें अगर किसान की खेती का प्रकृतिक आपदा या किसी और वजह से नुकसान हो जाता है तो उस स्थिति में किसान को बीमा कंपनी द्वारा मुआवजा मिलता है। सरकार द्वारा भी किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कुछ बीमा के प्रकार पेश किए गए हैं। 

2.7 अग्नि बीमा

अग्नि बीमा में आग लगने के कारण होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाती है। अक्सर आग लगने के कारण कारोबारियों का लाखों-करोड़ों का नुकसान हो जाता है तो ऐसे नुकसान से बचने के लिए वह इस बीमा के प्रकार का चुनाव कर सकते हैं।

2.8 समुद्री बीमा

आयात और निर्यात के दौरान समुद्री यात्रा में माल को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए समुद्री बीमा लिया जाता है। आपने बहुत बार देखा होगा कि बड़े-बड़े जहाज समुद्री तूफानों के कारण डूब जाते हैं और उनमें लदा सारा सामान भी उनके साथ डूब जाता है जिससे कि व्यापारियों का बहुत ज्यादा नुकसान होता है।

ऐसी स्थितियों में नुकसान की भरपाई यात्रा समुद्री बीमा के द्वारा की जाती है। 

2.9 नियोक्ता दायित्व बीमा

फैक्ट्री में काम करने के दौरान अगर किसी कर्मचारी को चोट लग जाती है या उसकी मौत हो जाती है तो कानूनन कंपनी के मालिक को व्यक्ति को या उसके परिवार को मुआवजा देना होता है। 

इसीलिए नियोक्ता आमतौर पर नियोक्ता दायित्व बीमा ले लेते हैं जिससे बीमा कंपनी उसकी ओर से उसके कर्मचारियों को मुआवजा देती है।

3. पुनर्बीमा या रीइंश्योरेंस - Reinsurance

आज के इस युग में कोई भी सुरक्षित नहीं है यहां तक कि बीमा कंपनी भी नहीं। बीमा कंपनियां भी कई तरह के जोखिमों से गिरी होती है। 

जब एक बीमा कंपनी कुछ जोखिमों (उदाहरण के तौर पर अगर बहुत ज्यादा दावे एक साथ अदा करने पड़ जाए) के खिलाफ खुद को सुरक्षित करने के लिए किसी और बीमा कंपनी से अपना बीमा करवाती है तो इस बीमा के प्रकार को पुनर्बीमा पॉलिसी कहा जाता है। 

बीमा कंपनियां अन्य बीमा कंपनियों से अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाने के लिए भी रीइंश्योरेंस पॉलिसी खरीदती हैं। यह लंबे समय तक कंपनी चलाने के लिए एक जोखिम प्रबंधन तकनीक है। 

बीमा कंपनियां जो अन्य बीमा कंपनियों को बीमा देती हैं उन्हें रीइंश्योरेंर (reinsurer) कहा जाता है। यहां कुछ कारण दिए गए हैं जिनकी वजह से एक बीमा कंपनी पुनर्बीमा खरीदती है। 

वित्तीय बोझ सहन करने के लिए, दावे अपेक्षित सीमा से अधिक होने पर।

जब बीमा कंपनी एक बड़े जोखिम के लिए कवर देने जा रही हो।