बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कैसे करें?

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अगर आप अपनी बीमा कंपनी की सेवाओं से संतुष्ट नहीं या आपकी बीमा कंपनी पॉलिसी में दी गई शर्तों का पालन नहीं कर रही है या आपकी शिकायत का निवारण नहीं कर रही है तो एक बीमा एजेंट की हैसियत से मैं आपकी मदद करने की कोशिश करूंगा। जहां मैं आपको बताऊंगा कि आप बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कैसे (Bima company ke khilaf complaint kaise kare) और कहां-कहां पर दर्ज करवा सकते हैं।

बीमा स्पष्ट रूप से बीमित व्यक्ति और बीमाकर्ता के बीच एक कानूनी करार होता है और इसकी बुनियाद भरोसे पर होती है जिसका अर्थ है कि बीमा बेचते वक्त कंपनी को सभी तथ्य अच्छी तरह से बीमा धारक के सामने रखने चाहिए और बीमा धारक को प्रपोजल फॉर्म में सारी जानकारी सही से भरनी चाहिए। 

जरूरत पड़ने पर बीमा की राशि बीमित व्यक्ति को देने के लिए बीमा कंपनी कानूनी रूप से बाध्य होती है। अगर आपका इन्शुरन्स क्लेम (insurance claim) कंपनी द्वारा नहीं दिया जा रहा है और आपको लगता है कि आपकी बीमा कंपनी बिना किसी वजह के आपका क्लेम रिजेक्ट कर रही है तो घबराइए नहीं आपके पास बहुत सारे माध्यम है जिनसे आप बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज (complaint against insurance company) करवा सकते हैं और क्लेम देने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

भारत में आईआरडीएआई (भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण) एजेंसी बीमा उद्योग को नियंत्रित  करती है। आईआरडीएआई पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए बीमा कंपनियों के लिए कड़े नियम और विनियम बनाती है। 

पॉलिसी मिस-सेलिंग और बेवजह क्लेम अस्वीकार को रोकने के लिए, प्राधिकरण ने बीमाकर्ताओं के लिए कई नियम बनाए हैं और यह नियमित रूप से जांच करती है कि क्या बीमाकर्ता इसके दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं या नहीं।

आम तौर पर, कोई बीमाकर्ता आईआरडीएआई के कड़े दिशानिर्देशों के कारण अनिवार्य रूप से इन्शुरन्स क्लेम अस्वीकार (insurance claim reject) नहीं करता है। फिर भी अगर आपको लगता है कि आपकी कंपनी बेवजह क्लेम देने से मना कर रही है तो इस स्थिति में आपके पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने के बहुत विकल्प होते हैं। 

एक बार क्लेम रिजेक्ट होने के बाद बीमा धारक को अपना दावा लेने के लिए कुछ चरणों का पालन करना पड़ता है जैसे कि सबसे पहले अपनी बीमा कंपनी में शिकायत दर्ज करनी पड़ती है और बताना पड़ता है कि आपका क्लेम क्यों ऑनर किया जाना चाहिए। 

अगर जीवन बीमा शिकायत का निवारण नहीं करती है तो उसके बाद बीमित व्यक्ति अपने बीमा लोकपाल के पास जाकर शिकायत दर्ज करा सकता है। फिर भी अगर आप संतुष्ट नहीं होते हैं तो आप अदालत या उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियों में बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। 

आगे हम विस्तार में देखते हैं कि इन्शुरन्स क्लेम रिजेक्ट होने पर हमें क्या करना चाहिए। 

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how to complaint against insurance company
इन्शुरन्स क्लेम खारिज होने की स्थिति में बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं यदि - You can file complaint against insurance company if:

  • बीमा कंपनी ने आपके दावे के अनुरोध को बेवजह खारिज कर दिया है।
  • बीमाकर्ता दावे निपटारे में बेवजह देरी कर रहा है।
  • आप क्लेम सेटेलमेंट से असंतुष्ट हैं।
  • बीमा कंपनी पॉलिसी की शर्तों का पालन नहीं कर रही है।
  • आपको गलत पॉलिसी बेची गई है।

सबसे पहले जाने आपका इन्शुरन्स क्लेम खारिज क्यों किया गया है - Know the reason of insurance claim rejection

बीमा कंपनी द्वारा इन्शुरन्स क्लेम खारिज होने की स्थिति में सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें कि आपका  क्लेम क्यों रिजेक्ट किया गया है। बीमा कंपनी पत्र, ई-मेल, एसएमएस, या फोन के द्वारा यह बताती है कि वह किस वजह से आपका बीमा दावा खारिज कर रही है। 

क्लेम रिजेक्ट होने के कारण को अच्छी तरह से देखें और फिर तय करें कि बीमा कंपनी ने आपका क्लेम बेवजह खारिज किया है या किसी वजह से।

अगर आपको लगता है कि आपका इन्शुरन्स क्लेम ऑनर किया जाना चाहिए था तो आप नीचे दिए गए चरणों का पालन कर बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज (register complaint against insurance company) करवा सकते हैं।

अगर आपको सही में लगता है कि आपका क्लेम बिल्कुल सही है और आपकी बीमा की शर्तों के अनुसार है तो आपको कोई भी क्लेम लेने से रोक नहीं सकता बस आपको कानूनी तौर से चलना होगा।

क्या मेरी बीमा पॉलिसी क्लेम की वजह को कवर करती है?

बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने से पहले आपको अपनी इन्शुरन्स पॉलिसी के डॉक्यूमेंट को पढ़ना होगा और उसमें यह देखना होगा कि जिस वजह से आपने इन्शुरन्स क्लेम किया है क्या वह वजह आपकी पॉलिसी कवर करती है या नहीं। आपको डाक द्वारा जो एश्योरेंस पॉलिसी भेजी जाती है उसमें साफ-साफ लिखा होता है कि आपकी पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहीं। 

एक बार जब आपको यकीन हो जाए कि आपकी पॉलिसी क्लेम के कारण को कवर करती है तो अपना इन्शुरन्स क्लेम लेने के लिए आगे दिए गए चरणों का पालन करें।

बीमा कंपनी इन्शुरन्स क्लेम देने से मना करे तो क्या करें? - Insurance Claim Rejected?

बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करना बहुत आसान है लेकिन आपको एक पूर्वनिर्धारित प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है उदाहरण के लिए अन्य अधिकारियों के पास जाने से पहले आपको कंपनी के शिकायत निवारण अधिकारी  के पास शिकायत दर्ज करवानी पड़ेगी। 

नीचे इन्शुरन्स कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने की प्रक्रिया बताई गई है। आप इसमें सबसे पहले अपनी शिकायत बीमा कंपनी द्वारा गठित इन्शुरन्स रिड्रेसल दफ्तर में रजिस्टर करवाएंगे और वहां से रसीद लेंगे।  

उसके बाद अगर आपकी शिकायत का निवारण नहीं होता है तो आप बीमा लोकपाल के पास जाएंगे। अगर बीमा लोकपाल में केस डालने के बाद भी आप संतुष्ट नहीं होते हैं तो आप अपनी शिकायत अदालत या उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियों में ले जा सकते।

बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत कैसे दर्ज करें - How to register complaint against insurance company

ध्यान रखें आपको दी गई क्रमशाला के हिसाब से ही चलना है। सबसे पहले आपको बीमा कंपनी के शिकायत निवारण दफ्तर में शिकायत दर्ज करवानी है। उसके बाद वहां पर अगर आपका क्लेम नहीं मिलता है तो आपको अगली संस्था के पास जाना है।

1. अपनी कंपनी के बीमा शिकायत निवारण दफ्तर में शिकायत दर्ज करवाएं - Register insurance complaint in company's grievance redressal office 

सरकार के दिशा निर्देशों के कारण हर कंपनी को इन्शुरन्स रिड्रेसल दफ्तर (insurance claim redressal branch) स्थापित करना पड़ता है जहां पर ग्राहक आकर अपनी जीवन बीमा शिकायत (Life insurance compaint) दर्ज करवा सकता हैं। उस शिकायत का निवारण 15 से 30 दिन में हो जाना चाहिए। 

अपनी बीमा कंपनी के दफ्तर में जाकर लिखित में शिकायत दर्ज करवाएं। उसमें साफ-साफ बताएं कि क्यों आपका इन्शुरन्स क्लेम खारिज करने का कारण गलत है और आपकी पॉलिसी में यह कवर किया जाता है। हो सके तो पॉलिसी की नियम और शर्तों की फोटो कॉपी साथ में लगा कर कारण को हाईलाइट कर दें। 

शिकायत करने के बाद लिखित रसीद लेना ना भूलें। अगर आप ऐसा नहीं करते तो बाद में आपको दिक्कत होगी। कंपनी को ग्राहक को शिकायत का बेयरा पॉलिसीधारक को रसीद पर या ई-मेल के माध्यम से देना जरूरी होता है।

अपनी रसीद लेते वक्त यह पूछे कि आपकी शिकायत का निवारण कितने दिन में हो जाएगा। आपको कंपनी द्वारा दिए गए समय का इंतजार करना होगा। आमतौर पर बीमा कंपनियां 7 से 15 दिन के बीच में बीमा शिकायतों का निवारण करती है।

अगर आपकी शिकायत में कंपनी को लगता है कि उससे गलती से आपका बीमा दावा अस्वीकार हो गया है तो एक अच्छी कंपनी ग्राहक का क्लेम सेटल कर देती है। अगर किसी वजह से कंपनी फिर से आपका क्लेम देने से मना कर देती है तो घबराए नहीं आपके पास और माध्यम भी है।

इन्शुरन्स कंपनी द्वारा शिकायत का निवारण ना होने पर आप दूसरे चरण का पालन कर सकते हैं।

यह जरूरी नहीं है लेकिन फिर भी आप कर सकते हैं: ऑनलाइन एकीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (Integrated Grievance Management System) के साथ अपनी बीमा शिकायत दर्ज करें।

अगर आपकी बीमा कंपनी आपकी शिकायत का निवारण जल्दी नहीं कर रही है तो आप आईआरडीएआई  द्वारा बनाई गई ऑनलाइन इंटीग्रेटेड ग्रीवेंस मैनेजमेंट सिस्टम की वेबसाइट पर अपनी इन्शुरन्स क्लेम कंप्लेंट रजिस्टर करवा सकते हैं जिससे कंपनी को जल्दी आपकी शिकायत का निवारण करना पड़ता है। 

यदि आप बीमाकर्ता निर्दिष्ट समय (15 दिनों) में आपकी शिकायत का जवाब नहीं देता तो आप अपनी शिकायत IGMS की वेबसाइट पर पंजीकृत कर सकते हैं। अगर आपको पहले से ही बीमा कंपनी से जवाब मिल चुका है तो इस वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करवाने का कोई फायदा नहीं होगा।

ऑनलाइन बीमा शिकायत कैसे दर्ज करें? (वैकल्पिक) - Register life insurance compliant online

  • https://cioins.co.in/Complaint/ पर जाएं और आवश्यक विवरण दर्ज करके स्वयं को पंजीकृत करें।
  • पंजीकरण के बाद, एक शिकायत दर्ज करें और पंजीकरण करें।
  • आप अपनी शिकायत की स्थिति भी ट्रैक कर सकते हैं।

ध्यान दें: इस वेबसाइट पर केवल शिकायत निवारण में देरी जैसी शिकायतें दर्ज की जा सकती है। बीमाकृत अन्य इन्शुरन्स क्लेम मामलों के लिए न्यायिक चैनलों अर्थात ओम्बुडसमैन, उपभोक्ता अदालत या सिविल कोर्ट से संपर्क कर सकते हैं।

आईआरडीएआई से संपर्क करें - Conatact IRDAI

पॉलिसीधारक बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए IRDA ग्राहक सेवा नंबर पर कॉल कर सकते हैं:

18004254732

वैकल्पिक रूप से वे 155255 पर भी कॉल कर सकते हैं।

लिखित शिकायत डाक के माध्यम से भेजने के लिए, आईआरडीए शिकायत फॉर्म डाउनलोड करें। विवरण भरें, समर्थन दस्तावेज संलग्न करें और इसे उल्लिखित पते पर भेजें:

General Manager

Insurance Regulatory and Development Authority of India(IRDAI)

Consumer Affairs Department – Grievance Redressal Cell.

Sy.No.115/1, Financial District, Nanakramguda,

Gachibowli, Hyderabad – 500 032.

इसी तरह https://cioins.co.in/Complaint/ वेबसाइट पर जाकर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।

सहायक दस्तावेजों के साथ एक लिखित शिकायत IRDA ग्राहक सेवा ईमेल पते complaints@irda.gov.in पर भी भेजी जा सकती है।

2. अपने बीमा लोकपाल के पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत करें - Register complaint with Insurance Ombudsman

भारत सरकार ने बीमा दावे निपटारे से संबंधित विवादों को हल करने के लिए बीमा लोकपाल योजना का गठन किया है। इसे इन्शुरन्स क्लेम से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए पेश किया गया है। 

पॉलिसीधारक जो बीमाकर्ताओं द्वारा इन्शुरन्स क्लेम सेटेलमेंट से संतुष्ट नहीं है वह अपने नजदीकी बीमा लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। 

ध्यान दें: अगर आपका बीमा क्लेम सही होगा तभी बीमा लोकपाल आपकी मदद कर पाएगा। अन्यथा आपका, बीमा कंपनी का, और बीमा लोकपाल का समय ही खराब होगा।

लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवाने की प्रक्रिया - Bima Lokpal online complaint

  • नजदीकी लोकपाल का पता आईआरडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त किए जा सकता हैं या आप इसके लिए बीमाकर्ता की शाखा/वेबसाइट पर जा सकते हैं। बीमा लोकपाल की सूची देखने के लिए आईआरडीएआई की वेबसाइट के इस पेज (क्लिक करें) पर जाएं। 
  • अपनी शिकायत का समर्थन करने वाले दस्तावेज़ों के साथ संबंधित लोकपाल को लिखित रूप में अपनी शिकायत सबमिट करें। शिकायत पोस्ट द्वारा भेजी जा सकती है।
लोकपाल के पास शिकायत ऑनलाइन भी दर्ज कराई जा सकती है। IRDAI के नए वेबसाइट पर जाकर बीमा लोकपाल से बीमा कंपनी की शिकायत दर्ज की जा सकती है।

अगर बीमा लोकपाल के सामने आप अपना पक्ष रखने में असमर्थ है तो कुछ निजी कंपनियां होती हैं जो बीमित व्यक्तियों की मदद करती है लोकपाल के सामने उनका पक्ष रखने में। इसके बदले में आपको उनको कुछ फीस देनी पड़ती है। 

यह भी ध्यान रखें कि अगर आपका इन्शुरन्स क्लेम स्वीकार कर लिया जाता है तो बीमा कंपनी ऐसी फीस जो आपने निजी कंपनी को दी होती है उसके लिए मुआवजा नहीं देती।

3. क्लेम लेने के लिए बीमा कंपनी के खिलाफ अदालत में केस करें - File court case against insurance company

ज्यादातर पॉलिसी होल्डर बीमा लोकपाल द्वारा किए गए निर्णय से संतुष्ट हो जाते हैं। क्योंकि लोकपाल बिल्कुल सही फैसला करते हैं। लेकिन फिर भी अगर आप लोकपाल द्वारा किए गए फैसले से संतुष्ट नहीं है तो आपके पास आखरी विकल्प बचता है कि आप बीमा कंपनी के खिलाफ अदालत में केस दर्ज करें। आप उपभोक्ता अदालत (consumer court) में शिकायत दर्ज कर सकते हैं । 

जहां पर आपकी बीमा शिकायत का निवारण जल्दी से जल्दी किया जाएगा या आप एक वकील की मदद से जिला अदालत में भी अपना केस रजिस्टर करवा सकते हैं। अदालत तथ्यों के आधार पर यह तय करती है कि पॉलिसी धारक को बीमा कंपनी द्वारा इन्शुरन्स क्लेम अदा किया जाना चाहिए या नहीं।

एक बार कंपनी द्वारा क्लेम रिजेक्ट कर देने पर पॉलिसी धारक दूसरी एजेंसियों से संपर्क कर सकता है अपना क्लेम लेने के लिए। आप बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियों में दर्ज करवा सकते हैं जो आपकी मदद करेंगे इन्शुरन्स क्लेम लेने के लिए। 

विवाद निवारण एजेंसियां जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित की गई है और बीमा की राशि के हिसाब से इन एजेंसियों में अपनी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।

सबसे पहले देखें आपकी शिकायत किस उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसी के अंतर्गत आती है। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के हिसाब से 3 तरह (जिला फोरम, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग) की शिकायत निवारण एजेंसियां है। 

  • अगर इन्शुरन्स क्लेम की राशि 20 लाख से कम है तो शिकायतकर्ता को जिला फोरम में जाना होगा। 
  • इसी तरह अगर राशि 20 लाख से ज्यादा और एक करोड़ से कम है तो शिकायत राज्य आयोग में दर्ज करवानी होगी। 
  • अगर बीमा क्लेम की राशि एक करोड रुपए से ज्यादा होती है तो राष्ट्रीय आयोग में शिकायत दर्ज करवानी पड़ती है।

महत्वपूर्ण बातें:

  • यदि आपकी शिकायत बीमा लोकपाल के पास दर्ज है तो उपभोक्ता या दूसरी अदालत में जाने से पहले लोकपाल के निर्णय का इंतजार करें।
  • यदि बीमा दावा राशि 20 लाख या उससे कम है तो जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (District Consumer Disputes Redressal Forum) में मामला दर्ज किया जा सकता है।
  • राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (State Consumer Disputes Redressal Forum) 20 लाख से अधिक और 1 करोड़ से कम राशि के मामलों को सुन सकता है।
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (National Consumer Disputes Redressal Forum) उन मामलों से निपट सकता है जहां मुआवजे का मूल्य 1 करोड़ से अधिक हो।

प्रक्रिया:

सभी तथ्यों को बताते हुए अपनी शिकायत लिखें और स्पष्ट रूप से उल्लेख करें कि आप किस मुआवजे या राहत की मांग कर रहे हैं।

अपनी बीमा शिकायत संबंधित उपभोक्ता मंच (Consumer Forum) पर जमा करें जिसके अधिकार क्षेत्र में आपका मामला आता है (उपरोक्त महत्वपूर्ण बिंदु पढ़ें)।

अगर आप अपनी शिकायत दूसरी अदालत जैसे कि जिला अदालत में दर्ज करवाना चाहते हैं तो आपको किसी वकील की सहायता लेनी पड़ेगी। लेकिन उपभोक्ता अदालत में ऐसा करने के लिए आपको वकील की जरूरत नहीं पड़ेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल - Complaint against insurance company FAQ

बीमा कंपनी के खिलाफ कहां-कहां शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है?

  • बीमा कंपनी के शिकायत निवारण अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करें।
  • मामले को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के पास ले जाए।
  • 12 महीने के भीतर बीमा लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
  • कंपनी के खिलाफ शिकायत अदालत में मुकदमा किया जा सकता है (उपभोक्ता या नागरिक)।