जिन लोगों के पास समय की कमी होती है और वह शेयर मार्केट को अपना समय नहीं दे सकते हैं उन लोगों के लिए mutual fund investment एक बहुत अच्छा ऑप्शन होता है शेयर मार्केट और गवर्नमेंट स्कीम के माध्यम से पैसा कमाने का। ऐसी स्कीम में एक म्युचुअल फंड मैनेजर आपका पैसा शेयर मार्केट और गवर्नमेंट स्कीम में लगाकर आपको मुनाफा कमाने में मदद करता है।
हमारे पिछले पोस्ट में हमने अच्छी तरह से जाना था म्युचुअल फंड क्या है और आज के इस पोस्ट में हम जानते हैं कि mutual fund kitne prakar ke hote hain।
एक बार जब आपको mutual fund ke prakar पता चल जाए उसके बाद आप आसानी से अपनी जरूरत और इन्वेस्टमेंट गोल के हिसाब से तय कर सकते हैं कि कौन सी म्युचुअल फंड स्कीम आपके लिए सही रहेगी।
आप म्यूचुअल फंड में निवेश किसी फंड हाउस या किसी स्टॉक ब्रोकर के द्वारा कर सकते हैं। भारत के मशहूर फंड हाउस है: एसबीआई म्युचुअल फंड, एचडीएफसी म्युचुअल फंड, एक्सिस बैंक म्यूच्यूअल फंड, एडलवाइज म्युचुअल फंड हाउस इत्यादि।
मैं व्यक्तिगत तौर पर Zerodha स्टॉक ब्रोकर में आपको अकाउंट खोलने की सलाह देता हूं:
अगर आप Zerodha जोकि भारत का नंबर वन स्टॉक ब्रोकर है के द्वारा mutual fund investment करते हैं तो यहां म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप सीधे किसी शेयर को भी खरीद सकते हैं। जीरोधा म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आपसे कोई किसी भी तरह का शुल्क नहीं लेते हैं।
म्यूचुअल फंड के प्रकार - Mutual Fund Ke Prakar
- डेब्ट फंड - Debt Fund
- हाइब्रिड फंड - Hybrid Fund
- इक्विटी फंड - Equity Fund
- कम जोखिम वाले फंड - Low Risk Funds
- मध्यम से कम जोखिम वाले फंड - Medium To Low Risk Funds
- मध्यम जोखिम वाले फंड - Medium Risk Funds
- मध्यम से अधिक जोखिम वाले फंड - Medium To High Risk Funds
- अधिक जोखिम वाले फंड की समय अवधि - Time Period Of High Risk Funds
- फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड - Fixed Maturity Fund
- कैपिटल प्रोटेक्शन फंड - Capital Protection Fund
- लिक्विड फंड - Liquid Fund
- टैक्स सेविंग फंड - Tax Saving Fund
- पेंशन फंड - Pension Funds
- ऐसेट एलोकेशन फंड - Asset Allocation Fund
- कमोडिटी केंद्रित स्टॉक फंड - Commodity Focused Stock Fund
- उभरते मार्केट फंड - Emerging Market Funds
- फंड ऑफ फंड्स - Fund Of Funds
- गिफ्ट फंड - Gift Fund
- ग्लोबल फंड - Global Fund
- इंटरनेशनल फंड - International Fund
- इन्वर्स फंड - Inverse Fund
- मार्केट न्यूट्रल फंड - Market Neutral Fund
- रियल एस्टेट फंड - Real Estate Fund
- सेक्टर फंड - Sector Fund
म्यूच्यूअल फंड्स को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:
डेब्ट फंड (Debt Mutual Fund): डेब्ट फंड वे फंड होते हैं जिसमें निवेशक को एक निश्चित ब्याज दर के आधार पर रिटर्न प्राप्त होता है। डेब्ट फंड सभी प्रकार की फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं उदाहरण के तौर पर सरकारी सिक्योरिटी, कॉरपोरेट बांड एवं ट्रेजरी बिल आदि। यह उन निवेशकों के लिए लाभप्रद है जो न्यूनतम जोखिम के साथ निरंतर रिटर्न चाहते हैं।
हाइब्रिड फंड (Hybrid Mutual Fund): हाइब्रिड फंड इक्विटी फंड तथा डेब्ट फंड के मिश्रण द्वारा तैयार एक संतुलित फंड है। हाइब्रिड फंड उन निवेशकों के लिए है जो कम जोखिम तथा कम रिटर्न की अपेक्षाकृत अत्यधिक जोखिम तथा अत्यधिक रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं। इसमें इक्विटी फंड तथा डेब्ट फंड का अनुपात स्थिर एवं अस्थिर हो सकता है।
इक्विटी फंड (Equity Mutual Fund): इक्विटी फंड वे फंड होते हैं जिसमें सभी निवेशकों से एकत्रित धन का स्टॉक मार्केट में निवेश किया जाता है। इसमें निवेशक को होने वाले हानि या लाभ स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करते हैं। इक्विटी फंड को इसी कारण स्टॉक फंड भी कहा जाता है।
मनी मार्केट फंड (Money Market Mutual Fund): मनी मार्केट फंड वे फंड होते हैं जिनकी जिनकी अवधि लगभग 1 वर्ष होती है। फंड मैनेजर निवेशकों के धन को ट्रेजरी बिल, रिपरचेज एग्रीमेंट, बॉन्ड, डेटेड सिक्योरिटी, कमर्शियल पेपर, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट आदि में निवेश करता है तथा निवेशक को निरंतर लाभांश प्रदान करता है।
Mutual Fund Schemes Based on Risk
कम जोखिम वाले फंड: कम जोखिम वाले फंड वे फंड होते हैं जिनमें निवेशक की सर्वोच्च प्राथमिकता निवेश किए गए धन को सुरक्षित करना होता है। निवेशकों को निवेश किए गए धन की सुरक्षा के साथ न्यूनतम लाभांश भी प्राप्त होते हैं। इनकी समय अवधि 1 माह से लेकर 1 वर्ष हो सकती है।
मध्यम से कम जोखिम वाले फंड: माध्यम से कम जोखिम वाले फंड वे फंड होते हैं जिनमें निवेशक अच्छे रिटर्न प्राप्त करने के लिए एक सीमित जोखिम उठाने को तैयार रहता है। इनकी समय अवधि 1 वर्ष से लेकर 3 वर्ष तक हो सकती है।
मध्यम जोखिम वाले फंड: मध्यम जोखिम वाले फंड वे फंड होते हैं जिनमें निवेशक अधिक रिटर्न प्राप्त करने के लिए मध्यम जोखिम सहन करने के लिए तैयार रहता है। यह फंड मध्यम अवधि से लेकर दीर्घ अवधि वाले हो सकते हैं।
मध्यम से अधिक जोखिम वाले फंड: मध्यम से अधिक जोखिम वाले फंड वे फंड होते हैं जिनमें निवेशक अत्यधिक रिटर्न प्राप्त करने के लिए अधिक जोखिम उठाने के लिए इच्छुक होता है। यह फंड मध्यम अवधि से लेकर दीर्घावधि वाले हो सकते हैं।
अधिक जोखिम वाले फंड की समय अवधि: अधिक जोखिम वाले फंड वे फंड होते हैं जिनमें निवेशक सर्वाधिक रिटर्न प्राप्त करने के लिए मूलधन के अत्यधिक जोखिम से भली भांति परिचित होते हैं एवं इसे सहन करने के लिए तैयार रहते हैं। यह फंड दीर्घावधि वाले होते हैं।
निवेश के आधार पर म्युचुअल फंड स्कीम - Mutual Fund Ke Prakar
फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड: फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड के अंतर्गत क्लोज एंडेड डेब्ट फंड में निवेश किया जाता है, जिनकी एक निर्धारित मैच्योरिटी डेट होती है। इसकी अवधि 1 माह से लेकर 5 वर्ष तक हो सकती है।
कैपिटल प्रोटेक्शन फंड: कैपिटल प्रोटेक्शन फंड का प्रमुख उद्देश्य निवेश की गई पूंजी की सुरक्षा होता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए निवेश को इक्विटी तथा फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में बांट दिया जाता है।
लिक्विड फंड: लिक्विड फंड निवेशकों को लिक्विडिटी, निवेश किए गए धन को संरक्षण और मध्यम रिटर्न प्रदान करता है। इसमें निवेश करने की अधिकतम सीमा ₹1000000 है। इस प्रकार के फंड की अधिकतम सीमा 3 माह की होती है।
टैक्स सेविंग फंड: टैक्स सेविंग फंड वे फंड होते हैं जो ना केवल निवेशक को उचित रिटर्न प्रदान करते हैं अपितु उसकी आय पर लगने वाले करों की भी बचत करते हैं। इस प्रकार के फंड वेतन भोगी निवेशकों के लिए उपयुक्त होते है तथा यह सामान्य रूप से दीर्घावधि के होते हैं। इस प्रकार के फंड में पूंजी के अधिकांश भाग का निवेश इक्विटी स्टॉक में किया जाता है और इसकी निश्चित अवरुद्धता अवधि(लॉक इन पीरियड) 3 वर्ष की होती है। इस प्रकार के फंड को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम(इएलएसएस) भी कहा जाता है। इसके द्वारा निवेशक को बचत में अधिकतम ₹150000 की छूट मिलती है।
पेंशन फंड: पेंशन फंड वे फंड होते हैं जिनमें दीर्घकालीन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निवेश किया जाता है। यह फंड किसी निवेशक के सेवानिवृत्त होने के पश्चात उनके आकस्मिक व्यय का ध्यान रखता है। पेंशन फंड की पूंजी का इक्विटी तथा डेब्ट सिक्योरिटी में निवेश किया जाता है। पेंशन फंड के रिटर्न को निवेशक एकमुश्त, नियमित पेंशन अथवा दोनों के सम्मिश्रण के रूप में भी प्राप्त कर सकता है।
ऐसेट एलोकेशन फंड: एसेट एलोकेशन फंड वे फंड होते हैं जिनमें डेब्ट, इक्विटी तथा गोल्ड को सर्वोत्तम अनुपात में संगठित किया जाता है। यह हाइब्रिड फंड की भांति ही होता है परंतु इसके पोर्टफोलियो में संग्रहित होने वाले स्टॉक और बॉन्ड के चुनाव के लिए फंड मैनेजर को अत्यधिक अनुभवी एवं निपुण होना चाहिए।
कमोडिटी केंद्रित स्टॉक फंड: कमोडिटी केंद्रित स्टॉक फंड वे फंड होते हैं जिनका निवेश कमोडिटी मार्केट में किया जाता है। निवेशक को प्राप्त होने वाला रिटर्न, मार्केट में कमोडिटी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
उभरते मार्केट फंड: उभरते मार्केट फंड विकासशील देशों में उपलब्ध होते हैं जो कि आर्थिक रूप से गतिशील होते हैं परंतु एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि यह जोखिम से परिपूर्ण होते हैं क्योंकि इन से प्राप्त होने वाले रिटर्न विकासशील देश की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति पर निर्भर करते हैं।
फंड ऑफ फंड्स: फंड ऑफ फंड्स को मल्टी मैनेजर फंड्स भी कहा जाता है। इस प्रकार के फंड का निवेश अन्य म्यूचुअल फंड में किया जाता है। निवेशक का रिटर्न लक्षित म्यूच्यूअल फंड पर निर्भर करता है।
गिफ्ट फंड: गिफ्ट फंड वे फंड होते हैं जो निवेशक द्वारा अपने प्रियजनों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए उपहार में दिए जाते हैं।
ग्लोबल फंड: ग्लोबल फंड वे फंड होते हैं जो पूंजी को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में निवेश करने की अनुमति प्रदान करते हैं। ग्लोबल फंड अत्यधिक जोखिम से परिपूर्ण होते हैं परंतु दीर्घकालिक एवं उच्च रिटर्न प्रदान करते हैं।
इंटरनेशनल फंड: इंटरनेशनल फंड वे फंड होते हैं जो पूंजी को केवल विदेशी मार्केट में निवेश की अनुमति प्रदान करते हैं। पूंजी को घरेलू मार्केट में निवेश की अनुमति नहीं होती है।
इन्वर्स फंड: इन्वर्स फंड वे फंड होते हैं जो मार्केट के प्रतिकूल रिटर्न प्रदान करते हैं। यदि मार्केट में गिरावट हो तो यह रिटर्न प्रदान करते हैं और यदि मार्केट में उछाल हो तो हानि प्रदान करते हैं। यह अत्यधिक जोखिम से परिपूर्ण होते हैं क्योंकि यह अत्यधिक रिटर्न एवं अत्यधिक हानि प्रदान करने वाले फंड होते हैं।
मार्केट न्यूट्रल फंड: मार्केट न्यूट्रल फंड वे फंड होते हैं जो बिना मार्केट के उतार-चढ़ाव से बिना प्रभावित हुए उचित रिटर्न प्रदान करते हैं। इस प्रकार के फंड मार्केट के जोखिम को सीमित करते हैं क्योंकि यह मार्केट के उतार-चढ़ाव में रिटर्न उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं।
रियल एस्टेट फंड: रियल एस्टेट फंड अपनी पूंजी का निवेश रियल एस्टेट व्यवसाय में करते हैं। रियल एस्टेट फंड में पूंजी निवेश करने का कोई निर्धारित समय नहीं होता है।
सेक्टर फंड: सेक्टर फंड वे फंड होते हैं जिनका निवेश शुरुआत से ही किसी विशेष सेक्टर में किया जाता है। इस प्रकार के फंड को प्राप्त होने वाले रिटर्न केवल उसी सेक्टर के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करते हैं।
म्यूचुअल फंड कैसे काम करता है?
म्यूचुअल फंड में निवेश करना अति सरल होता है। म्यूचुअल फंड में निवेश का प्रबंधन एसेट प्रबंधन कंपनी करती है और यह कंपनी निवेशकों के धन की सुरक्षा के लिए उत्तरदाई भी होती है। म्यूचुअल फंड धारक को उनके निवेश के अनुपात में म्यूचुअल फंड के यूनिट्स जारी करता है इसलिए म्यूच्यूअल फंड धारक को प्राप्त होने वाला लाभांश उनके म्यूचुअल फंड की यूनिट की संख्या पर निर्भर करता है।
एक निवेशक को प्राप्त होने वाले प्रत्येक यूनिट कि नेट ऐसेट वैल्यू ज्ञात करने के लिए म्यूचुअल फंड के नेट एसेट (म्यूचुअल फंड में संग्रहित कुल राशि) में से नेट लायबिलिटी (देनदारियों) को घटाया जाता है एवं उसके पश्चात बची राशि को नंबर ऑफ यूनिट आउटस्टैंडिंग (जारी की गई यूनिट की संख्या) से विभाजित किया जाता है।
एनएवी = (एसेट - लायबिलिटी) / नंबर ऑफ यूनिट आउटस्टैंडिंग
निवेशक म्यूचुअल फंड का चुनाव करता है तथा इसमें निवेश करता है। फंड मैनेजर अपनी निपुणता एवं अनुभव और मार्केट के अनुसंधान एवं विश्लेषण द्वारा निवेशकों का धन का सही आवंटन करता है। इसलिए म्यूचुअल फंड निवेशकों में अधिक लोकप्रिय है। फंड मैनेजर द्वारा तैयार किए गए पोर्टफोलियो म्यूचुअल फंड के उद्देश्य पर आधारित होती है।
म्यूचुअल फंड में निवेशको से एकत्रित पूंजी का एसेट क्लास के अनेकों भागों में निवेश किया जाता है उदाहरण के तौर पर इक्विटी, डेब्ट, स्टॉक, बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी आदि। इस प्रकार निवेशक एक ही समय में अनेकों सिक्योरिटी में निवेश कर विविधता का लाभ उठा सकते हैं।
म्यूचुअल फंड में इक्विटी फंड तथा डेब्ट फंड का मिश्रण अत्यधिक सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि एक तरफ इक्विटी फंड लाभकारी रिटर्न प्रदान करता है तथा दूसरी ओर डेब्ट फंड उचित रिटर्न के साथ स्थिरता प्रदान करते हैं। इस प्रकार म्यूचुअल फंड में निवेश करना अति सरल, अति लाभकारी तनाव रहित एवं कम जोखिम से परिपूर्ण होता है।
म्यूचुअल फंड की प्रत्येक यूनिट नेट एसेट वैल्यू तथा मार्केट वैल्यू क्या अंतर होता है?
प्रत्येक यूनिट कि नेट ऐसेट वैल्यू ज्ञात करने के लिए म्यूचुअल फंड के नेट एसेट में से नेट लायबिलिटी को घटाया जाता है एवं उसके पश्चात बची राशि को नंबर ऑफ यूनिट आउटस्टैंडिंग से विभाजित किया जाता है।
एनएवी = (एसेट - लायबिलिटी) / नंबर ऑफ यूनिट आउटस्टैंडिंग। नेट ऐसेट वैल्यू किसी भी ट्रेडिंग डे के अंत में ज्ञात की जा सकती है।
प्रत्येक यूनिट की करंट वैल्यू ही उसकी मार्केट वैल्यू होती है प्रत्येक यूनिट की मार्केट वैल्यू, उसकी मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है। मार्केट वैल्यू ट्रेडिंग डे के दौरान कभी भी देखी जा सकती है।