हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम लेने के लिए उपयोगी टिप्स

अप्रत्याशित चिकित्सा आपातकालीन स्थिति किसी भी समय घट सकती है। इसलिए हर किसी को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। एक स्वास्थ्य बीमा योजना होने से मन को शांति मिलती है कि हम अप्रत्याशित चिकित्सा एमरजैंसी स्थिति का सामना करने के लिए वित्तीय रूप से तैयार हैं। स्वास्थ्य बीमा मेडिकल एमरजैंसी में आर्थिक सहायता देने के लिए तैयार किया गया है। लेकिन कुछ बार ऐसा देखा गया है कि कुछ पॉलिसीधारकों के कुछ निश्चित वजहओ के कारण हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम (Health Insurance claim) बीमा कंपनी द्वारा अस्वीकार कर दिए जाते हैं जो की बहुत ही निराशाजनक होता है।

यहां आज हम कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में चर्चा करेंगे जिनसे जरूरत पड़ने पर आपका क्लेम कंपनी द्वारा कभी भी अस्वीकार नहीं किया जाएगा। अगर आपके पास हेल्थ इन्शुरन्स है या आप हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम करने जा रहे हैं तो इस पोस्ट में दी गई हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम टिप्स (Health Insurance claim tips) आपके लिए फायदेमंद होगी।

यह एक बुरे सपने की तरह होता है कि जब कोई व्यक्ति मेडिक्लेम के लिए आवेदन करें और उसकी बीमा कंपनी किसी कारण उसका हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम रिजेक्ट कर दे। वैसे आपकी जानकारी के लिए दुनिया के सभी देशों में बीमा कारोबार सरकारों द्वारा बनाए गए सख्त निर्देशों के अधीन चलता है जिसमें खासतौर पर ऐसी एजेंसियां बनाई जाती है जो सभी बीमा कंपनियों पर निगरानी रखती है। 

ऐसी एजेंसियां, जैसे कि भारत में आईआरडीएआई है, अगर पाती है कि कोई कंपनी ग्राहकों के साथ धोखा कर रही है तो उस पर शीघ्र कार्रवाई की जाती है और उसका इन्शुरन्स लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है। 

इसीलिए आजकल कोई भी बीमा कंपनी बेवजह किसी पॉलिसीधारक का मेडिक्लेम बेवजह रिजेक्ट नहीं करती है। बस पॉलिसीधारक को अपना हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होता है। 

अगर फिर भी बेवजह बीमा कंपनी द्वारा हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम रिजेक्ट किया जाता है तो बीमाधारक के पास बहुत सारे विकल्प होते हैं जिनसे वह कंपनी को मजबूर कर सकता है क्लेम देने के लिए। 

इस विषय पर हमने पिछले पोस्ट में विस्तार से बात की थी कि कैसे बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत करें और कैसी अपना दावा ले। आप उस पोस्ट को पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक कर सकते हैं।

आपकी जानकारी के लिए, यह पोस्ट हमारी हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम से संबंधित सीरीज का एक हिस्सा है। इस सीरीज में हमने स्वास्थ्य बीमा क्लेम से संबंधित टॉपिक कवर किए हैं।

  • पोस्ट 1: आसानी से हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम लेने के लिए उपयोगी टिप्स (अभी आप यहां पर हैं)
  • पोस्ट 2: स्वास्थ्य बीमा दावा कैसे जमा करें 
  • पोस्ट 3: बीमा कंपनी इन्शुरन्स क्लेम देने से मना करे तो क्या करें?

इस पोस्ट में, हमने कुछ महत्वपूर्ण हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम टिप्स सूचीबद्ध की हैं जो आपको मदद करेंगी अपना स्वास्थ्य बीमा दावा आसानी से लेने के लिए। एक हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में दो तरह की सुविधाएं होती है: 1) कैशलेस स्वास्थ्य बीमा सुविधा (Cashless Treatment Insurance Plan), और 2)  रीइंबर्समेंट स्वास्थ्य योजना (Reimbursement Health Plan)। 

कैशलेस स्वास्थ्य सुविधा में पॉलिसीधारक बीमा कंपनी द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पतालों में मुफ्त में (इलाज का खर्चा हेल्थ इन्शुरन्स द्वारा अदा किया जाता है) इलाज करवा सकता हैं। 

दूसरी तरफ रीइंबर्समेंट प्लान में पॉलिसीधारक को अस्पताल के इलाज का खर्चा खुद देना पड़ता है और बाद में वे अस्पताल का बिल और दवाइयों का खर्चा दिखाकर इन्शुरन्स कंपनी से हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम ले सकता है। अगर कोई व्यक्ति एंपेनल्ड हॉस्पिटल में इलाज करवाता है तो उसका मेडिक्लेम कंपनी द्वारा आसानी से स्वीकार कर लिया जाता है। 

लेकिन अगर इलाज किसी और अस्पताल से करवाया जाता है तो पॉलिसीधारक को इलाज और दवाइयों के असली बिल दिखाने पड़ते हैं और उसके बाद ही उसको मेडिक्लेम मिलता है। 

यहां नीचे दी गई हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम टिप्स को ध्यान में रखने से कंपनी आपको स्वास्थ्य बीमा क्लेम देने से मना नहीं कर पाएगी।

Health Insurance claim tips

हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम टिप्स - Health Insurance claim tips

हेल्थ इन्शुरन्स लेते समय सभी तथ्यों का खुलासा करें 

स्वास्थ्य बीमा लेते समय कुछ लोग ऐसी गलतियां कर देते हैं जिनसे बाद में उनका हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम कंपनी द्वारा रिजेक्ट किया जा सकता है। बीमा विश्वास के सिद्धांत पर काम करता है जिसमें दोनों पक्षों (बीमाकृत और बीमाकर्ता) को सभी तथ्यों को स्पष्ट रूप से प्रकट करने की आवश्यकता होती है। 

यह बेहद जरूरी है कि पॉलिसीधारक प्रपोजल फॉर्म  को खुद भरे और उसमें पूछे गए सभी तथ्यों का खुलासा करें जैसे कि मैं शराब पीता हूं या नहीं, सिगरेट पीता हूं या नहीं, मुझे पहले से कोई बीमारी है या नहीं आदि जैसे तथ्य। 

अगर पॉलिसीधारक प्रपोजल फॉर्म में ऐसे तथ्य सही से सामने नहीं रखता है और बाद में बीमा कंपनी को पता चलता है कि बीमा खरीदने के दौरान तथ्यों को सही से सामने नहीं रखा गया तो कंपनी स्वास्थ्य बीमा क्लेम देने से मना कर सकती है। 

उस स्थिति में, पॉलिसीधारक किसी भी बीमा नियामक प्राधिकारी से अपील नहीं कर सकते हैं क्योंकि मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदते वक्त उसके द्वारा तथ्यों को छिपाया गया था। 

तो यहां पर अगर आप सेहत बीमा खरीदने जा रहे हो तो प्रपोजल फॉर्म को खुद भरे। अपने इन्शुरन्स एजेंट को इसको भरने ना दें और सारी जानकारी को सही से बीमा कंपनी के सामने रखें। 

दूसरी तरफ अगर आपने पहले से मेडिक्लेम पॉलिसी ले रखी है लेकिन उसमें अपने तथ्यों को छुपाया है तो इस स्थिति में आप अपनी बीमा कंपनी से संपर्क कर सकते हैं और उसे कह सकते हैं कि आप अपने प्रपोजल फॉर्म में दी गई जानकारी को अपडेट करना चाहते हैं। 

ऐसा करने से शायद आपका इन्शुरन्स प्रीमियम थोड़ा बढ़ जाए लेकिन इससे यह फायदा होगा कि भविष्य में हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम अस्वीकार होने के कम चांस होंगे।

अपनी पॉलिसी को सही से पढ़े

read health insurance policy

अक्सर हेल्थ इन्शुरन्स एजेंट जो भी लाभ हमें स्वास्थ्य बीमा योजना के बारे में बताता है हम उस पर यकीन कर लेते हैं। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बीमा एक कानूनी करार होता है जिसमें मुंह से कही गई बातों का कोई मूल्य नहीं होता। 

इसलिए मैं आपको बताना चाहता हूं कि किसी पर भरोसा न करें अपने पॉलिसी दस्तावेज़ पर दिखाए गए लाभ पढ़ें। जो भी बीमारियां और दुर्घटनाओं के कारण आपकी पॉलिसी पर लिखे होंगे आपको उन्हीं के लिए ही हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम मिलेगा। 

इसलिए स्वास्थ्य योजना खरीदने के बाद, जब भी आप अपने पॉलिसी दस्तावेज प्राप्त करते हैं तो उन्हें सावधानी से पढ़ें और अगर आपको अपनी स्वास्थ्य योजना के बारे में कोई संदेह है तो अपने बीमाकर्ता से पूछें। 

पॉलिसी डॉक्युमेंट मिलने के 15 दिन के बीच में कोई भी बीमा पॉलिसी वापिस की जा सकती है और अपना प्रीमियम वापस लिया जा सकता है। इसलिए अपनी पॉलिसी के डॉक्यूमेंट को अच्छी तरह पढ़े। अगर आपको लगता है कि पॉलिसी आपके लिए सही नहीं है तो इसे फ्री-लुक पीरियड के बीच-बीच में ही वापस कर दे या बीमा कंपनी से कहें कि आपको कोई ओर प्लान दिया जाए जो आपकी जरूरतों को पूरा करें। 

भारत में, पॉलिसीधारकों को गलत बिक्री के मामले में पॉलिसी वापस करने के लिए 15 दिन मिलते हैं।

आपकी जानकारी के लिए अधिकतर सेहत बीमा योजनाएं कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम नहीं देती हैं। ऐसी बीमारियों के लिए अलग से सेहत बीमा पॉलिसी होती है जिसे हम कैंसर पॉलिसी कहते हैं। हर इन्शुरन्स पॉलिसी में एक्सक्लूजन और डिटेक्शंस होते हैं और हर पॉलिसीधारक को ऐसी चीजों से अवगत होना चाहिए। 

आमतौर पर यह जिम्मेदारी बीमा एजेंट की होती है कि वह पॉलिसीधारक को सही से सारी जानकारी दें। लेकिन ज्यादातर एजेंट ऐसा नहीं करते और जिसका भुगतान बाद में पॉलिसीधारक को ही करना पड़ता है।

इंपैनल्ड अस्पताल में इलाज करवाएं

पॉलिसीधारक को बीमाकर्ता की वेबसाइट से कैशलेस इलाज वाले अस्पतालों के नेटवर्क की सूची डाउनलोड  करनी चाहिए या बीमाकर्ता से इसे प्रदान करने के लिए कहना चाहिए। हमेशा इंपैनल्ड हॉस्पिटल (empaneled hospital) में ही इलाज करवाना चाहिए। 

बीमा कंपनी द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में इलाज करवाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम आसानी से स्वीकार कर लिया जाता है। पॉलिसीधारक को किसी तरह का कैश नहीं देना पड़ता है।

जब भी एमरजैंसी जैसी स्थिति आए तो हमेशा परिवार के सदस्यों को पता होना चाहिए कि नजदीक का एंपेनल्ड हॉस्पिटल कौन सा है। कोशिश करनी चाहिए कि पॉलिसीधारक को उसी हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाया जाए। 

लेकिन ऐसी स्थिति में अगर नजदीक में कोई और हस्पताल पड़ता है तो मरीज की स्थिति गंभीर होने की स्थिति में सबसे नजदीक वाले हॉस्पिटल में ही चले जाना चाहिए।

एंपेनल्ड हॉस्पिटल में इलाज करवाने से हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम रिजेक्ट होने के चांस ना बराबर होते हैं।

बीमा कंपनी द्वारा जारी पहचान पत्र हमेशा पास रखें

हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी पॉलिसीधारक को एंपेनल्ड हॉस्पिटल में मुफ्त इलाज की सुविधा लेने के लिए एक पहचान पत्र देती है जिसे दिखाकर पॉलिसीधारक अस्पताल में मुफ्त इलाज करवा सकता है। इसलिए, कंपनी द्वारा जारी पहचान पत्र को हमेशा अपने पर्स में रखना चाहिए। 

किसी तरह जब एमरजैंसी की स्थिति में मरीज को लेकर जा रहे हो तो हमेशा पॉलिसी से जुड़े दस्तावेज साथ लेकर जाना चाहिए। 

हालांकि ऐसी स्थिति में ऐसी चीजों के बारे में सोचना मुश्किल हो जाता है लेकिन ऐसा करने से बहुत फायदा होता है क्योंकि एंपेनल्ड हॉस्पिटल को भी सुबूत चाहिए होता है कि मरीज के पास हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी है।

अगर इलाज किसी और अस्पताल से करवाया जा रहा है तो पॉलिसी डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि सारा खर्चा खुद करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में बस असली रसीदो को संभाल कर रखना होता है।

हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम के लिए आवेदन करें

जब नेटवर्क के भीतर अस्पताल से उपचार करवाया जा रहा हों तो अपने पॉलिसी दस्तावेज और हेल्थ कार्ड को दिखा कर हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम के लिए कह देना चाहिए। यदि आउट-ऑफ-नेटवर्क अस्पताल से उपचार करवाया जा रहा हो तो मेडिक्लेम के लिए कंपनी द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना चाहिए। 

उदाहरण के लिए नॉन-एंपेनल्ड अस्पताल में भर्ती होने के 24-48 घंटे के भीतर इन्शुरन्स कंपनी को बताना पड़ता है ऐसा ना करने की स्थिति में इन्शुरन्स कंपनी क्लेम देने से मना भी कर सकती है। 

बीमा कंपनी को उसके नजदीक के दफ्तर में जाकर, फोन द्वारा,  ई-मेल द्वारा, एसएमएस द्वारा, या उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध फॉर्म भर कर सूचित किया जा सकता है। इसी तरह जहां भी भुगतान किया जाए उसकी असली रसीद ले लेनी चाहिए क्योंकि हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम दाखिल करते वक्त भुगतान किए गए बिलों की असली रसीदें लगानी पड़ती है। हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम कैसे करें जानने के लिए यहां क्लिक करें।

मेडिक्लेम महत्वपूर्ण बातें:

  • पॉलिसी डॉक्युमेंट और कंपनी द्वारा जारी पहचान पत्र साथ में रखें।
  • 24-48 घंटे के भीतर बीमा कंपनी को सूचित करें।
  • एंपेनल्ड हॉस्पिटल में इलाज कराने की स्थिति में अस्पताल में स्थापित बीमा कंपनी के अधिकारी को सूचित करें।
  • नॉन-एंपेनल्ड हॉस्पिटल में भर्ती की स्थिति में जल्द से जल्द बीमा कंपनी को सूचित करें।
  • नॉन-एंपेनल्ड हॉस्पिटल में इलाज की स्थिति में असली हॉस्पिटल और दवाइयों के बिल संभाल कर रखें।  

एंपेनल्ड हॉस्पिटल में जाने की कोशिश करें

हालांकि एमरजैंसी की स्थिति में सबसे नज़दीक के अस्पताल में चले जाना चाहिए लेकिन नेटवर्क अस्पताल से उपचार प्राप्त करना हमेशा फायदेमंद होता है। अगर पॉलिसीधारक को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत है लेकिन इसमें कोई आपातकालीन जैसी स्थिति नहीं है तो हमेशा बीमा कंपनी द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही जाना चाहिए। 

याद रखें कुछ स्वास्थ्य बीमा योजनाएं प्रतिपूर्ति (reimbursement) विकल्प प्रदान नहीं करती हैं। 

इसलिए गैर-सूचीबद्ध अस्पतालों से चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठाने से पहले यह जांचें कि आपकी मेडिक्लेम पॉलिसी आपको ऐसा करने की अनुमति देती है या नहीं।

अगर हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी नॉन-इंपैनल्ड अस्पताल में इलाज की स्थिति में कोई मुआवजा नहीं देती है तो ऐसी स्थिति में मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही जाना चाहिए। अगर आपके पास ऐसी पॉलिसी है तो यह एक अच्छी पॉलिसी नहीं है। इसे ऐसी मेडिक्लेम पॉलिसी के साथ बदले जिसमें किसी भी अस्पताल में इलाज करवाया जा सके। इससे हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम लेने में कोई परेशानी नहीं होगी।

मौजूदा हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी को बंद किए बिना किसी दूसरी कंपनी में ले जाया जा सकता है या इसे किसी दूसरे प्लान से बदला जा सकता है।

अपने आपको अपडेट रखें 

अपने आपको अपडेट रखने के लिए, ईमेल अलर्ट या एसएमएस अधिसूचनाओं के लिए पंजीकरण करें। ऐसा करके, आप पॉलिसी नियमों और शर्तों के संबंध में अपने बीमाकर्ता से नवीनतम अपडेट प्राप्त कर सकते हैं। हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी जब भी नियमों में बदलाव करती है या अपने एंपेनल्ड हॉस्पिटल को बढ़ाती है तो वह ईमेल या एसएमएस के द्वारा अपने ग्राहकों को सूचित कर देती है। 

ऐसा करने से आपको यह जानकारी मिलती रहेगी की आपके नजदीक में कौन-कौन सा अस्पताल आपकी बीमा कंपनी द्वारा मान्यता प्राप्त है।

समय-समय पर बीमाकृत व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य कार्ड को नवीनीकृत करने की आवश्यकता होती है। इसलिए समय पर अपने स्वास्थ्य कार्ड को नवीनीकृत करें; अगर यह आवश्यक है। 

आमतौर पर बीमा कंपनी अपने ग्राहक को ऐसी जानकारी फोन के द्वारा दे देती है। लेकिन फिर भी आपको इसके बारे में सतर्क रहना चाहिए। ऐसा ना करने की स्थिति में हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम लेने में दिक्कत आ सकती है।

कुछ हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसियों में पॉलिसीधारक को निश्चित अवधि के बाद मेडिकल चेकअप करवा पड़ता है। अगर आपकी पॉलिसी में भी ऐसा करना पड़ता है तो कंपनी द्वारा निर्धारित हॉस्पिटल में समय-समय पर अपना चेकअप करवाते रहें। 

अंतिम शब्द

स्वास्थ्य बीमा हमें दुर्घटना या बीमारी के कारण वित्तीय नुकसान से बचाता है। इसलिए एक परेशानी मुक्त जीवन जीने के लिए हर किसी के पास स्वास्थ्य योजना होनी चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि अपने बीमाकर्ता द्वारा प्रदान किए गए सभी निर्देशों का पालन करें ताकि आपकी मेडिक्लेम पॉलिसी सही से चलती रहे। 

सरल और तनाव मुक्त हेल्थ इन्शुरन्स क्लेम पाने के लिए, अपनी बीमा कंपनी द्वारा प्रदान किए गए सभी दिशानिर्देशों का पालन करें। आपको स्पष्ट रूप से समझना होगा कि आपकी पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहीं।